घरेलू इस्पात उद्योग को अल्पावधि से मध्यावधि में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस उद्योग को कमजोर वैश्विक मांग के बीच सस्ते आयात का खतरा है। कर्नाटक सरकार के नए प्रस्ताव के तहत 2005 से लागू होने वाला कर लगाया जा सकता है। वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही कमजोर रही और कुल एबिटा नकारात्मक की ओर जाता दिखा। अब पूंजीगत व्यय योजनाओं पर अमल करने से कर्ज में इजाफा होगा।
कमजोर वैश्विक कीमतों और ऊंचे आयात की वजह से नवंबर में फ्लैट स्टील उत्पादों (एचआरसी-हॉट रोल्ड और सीआरसी-कोल्ड रोल्ड) की प्रति टन कीमत मासिक आधार पर 48,000 रुपये और 55,500 रुपये पर सपाट बनी रही। लॉन्ग श्रेणी के इस्पात उत्पादों की कीमतें मासिक आधार पर मामूली 2 फीसदी तक बढ़कर 54,600 रुपये प्रति टन पर पहुंच गईं। भारत की इस्पात मांग मासिक आधार पर 4 प्रतिशत घटकर 1.238 करोड़ टन रह गई। इसकी वजह कोहरे से निर्माण गतिविधियां प्रभावित होना थीं।
हालांकि इनपुट लागत नवंबर 2024 में सपाट बनी रही। अक्टूबर 2024 के दौरान एनएमडीसी द्वारा लगातार दो कीमत वृद्धि के बाद लौह अयस्क की कीमतें लंप के लिए 6,350 रुपये और फाइन श्रेणी के लिए 5,410 रुपये प्रति टन रहीं। मौसमी मांग में सुस्ती की भरपाई ऊंची निर्यात कीमतों से हुई। लेकिन स्पंज आयरन और इस्पात बाजार की बिगड़ती धारणा गंभीर तेजी को सीमित करेगी। नवंबर 2024 में प्रीमियम कोकिंग कोल की कीमतें मासिक आधार पर 220 डॉलर प्रति टन पर स्थिर रहीं। चीन की कमजोर मांग के कारण ऑस्ट्रेलियाई कोकिंग कोल की कीमतें सीमित दायरे में रहने की संभावना है।
कैलेंडर वर्ष 2024 के पहले 10 महीनों में चीन की इस्पात मांग सालाना आधार पर 6 फीसदी घटकर 76 करोड़ टन रह गई जो 2018 के बाद से समग्र संदर्भ में सबसे कम है। चीन के इस्पात उत्पादन में वृद्धि के कारण स्थानीय मांग कमजोर है जिससे निर्यात बढ़ा है। भारतीय इस्पात उद्योग ने सस्ते आयात को देखते हुए सुरक्षा शुल्क लगाने की मांग की है। अगर ऐसे शुल्क लगाए जाते हैं तो यह घरेलू इस्पात के लिए राहत होगी। 2019 और 2023 के बीच विभिन्न देशों के संरक्षणवादी व्यापार उपायों, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में अतिरिक्त क्षमता और चीन की इस्पात खपत में गिरावट की वजह से आयात में तेज वृद्धि हुई है। सितंबर 2024 और अक्टूबर 2024 में फ्लैट स्टील का आयात मासिक आधार पर 76 प्रतिशत बढ़ा है जबकि भारत से फ्लैट स्टील का निर्यात 29 प्रतिशत घटा है। भारत के इस्पात आयात में चीन की हिस्सेदारी सितंबर-अक्टूबर 2024 के दौरान बढ़कर 27.4 प्रतिशत हो गई जबकि इससे पिछले 5 वर्षों में यह औसतन 13 प्रतिशत थी।
सर्वोच्च न्यायालय के 25 जुलाई 2024 के आदेश के आधार पर कर्नाटक सरकार ने अतिरिक्त खनिज शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो इसका अलग-अलग कंपनियों पर अलग-अलग असर हो सकता है जिनमें एनएमडीसी सबसे अधिक प्रभावित होगी।