भारत के बंदरगाहों और नदी व्यवस्था की अहम ड्रेजिंग परियोजनाओं को लागू करने का वक्त और लागत घटाने की कवायद में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ऑनलाइन ड्रेजिंग निगरानी व्यवस्था पेश की है। इसे सागर समृद्धि नाम दिया गया है।
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने एक बयान में कहा, ‘इस व्यवस्था से तात्कालिक ड्रेजिंग रिपोर्ट तैयार करने के पहले विभिन्न इनपुट रिपोर्टों जैसे रोजाना की खुदाई (ड्रेजिंग), खुदाई के पहले और बाद के सर्वे के आंकड़ों में एकरूपता आ सकेगी। सागर समृद्धि निगरानी व्यवस्था से रोजाना और मासिक प्रगति की जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही खुदाई के प्रदर्शन और निगरानी, लोडिंग और अनलोडिंग के स्नैपशॉट के साथ स्थल की निगरानी के आंकड़े समय पर मिल सकेंगे।’
यह व्यवस्था नैशनल टेक्नोलॉजी सेंटर फॉर पोर्ट्स, वाटरवेज ऐंड कोस्ट्स (एनटीसीपीडब्ल्यू) ने विकसित की है। मंत्रालय ने हाल ही में बड़े बंदरगारों की खुदाई के लिए अद्यतन दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिससे खोदी गई सामग्री का फिर से इस्तेमाल हो सके। इन परियोजनाओं का पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को देखते हुए नए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इस इससे कचरे से संपदा बनाने के केंद्र के दृष्टिकोण को बल मिलेगा। सरकार के अनुमान के मुताबिक प्रमुख बंदरगाहों व जलमार्गों की सालाना रखरखाव की खुदाई करीब 10 करोड़ घन मीटर है, जिसपर भारतीय बंदरगाह और जलमार्ग प्राधिकरण करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च करता है।