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Canara Bank ने 10 साल के इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाए

गौरतलब है कि एसबीआई ने इससे पहले 10 जुलाई को 7.36% की दर से 15 साल के बॉन्ड के जरिए और 26 जून को भी इतनी ही दर से 10,000 करोड़ रुपये जुटाये थे।

Last Updated- July 16, 2024 | 10:19 PM IST
Canara Bank

पब्लिक सेक्टर के केनरा बैंक ने मंगलवार को बॉन्ड बाजार से 10 साल की अवधि वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के माध्यम से 7.40% की दर से 10,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। गौरतलब है कि एसबीआई ने इससे पहले 10 जुलाई को 7.36% की दर से 15 साल के बॉन्ड के जरिए और 26 जून को भी इतनी ही दर से 10,000 करोड़ रुपये जुटाये थे।

अन्य बैंकों का भी बॉन्ड बाजार की ओर रुख

इसी तरह, एक अन्य पब्लिक सेक्टर का बैंक, बैंक ऑफ इंडिया (BoI) भी 18 जुलाई को बॉन्ड बाजार से लगभग 5,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार का रुख करेगा। इस बीच, पुणे स्थित पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने भी कहा है कि वह इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहता है, जिसमें इस साल 2,000-2,500 करोड़ रुपये की पहली किश्त मिलने की उम्मीद है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से जुटाया पैसा बैंकों के लिए बेहतर है क्योंकि उन्हें इस पर सरकारी नियमों के तहत रिजर्व बैंक में रखने की जरूरत नहीं होती। आम तौर पर जमा पर बैंक को कुछ पैसा रिजर्व बैंक में रखना होता है और कुछ सरकारी बॉन्ड में लगाना होता है। लेकिन इंफ्रा बॉन्ड से मिले पैसे को बैंक पूरी तरह से लोन देने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

उद्योग के जानकारों की राय

इंडस्ट्री के एक जानकार का कहना है कि इन बॉन्ड पर अच्छा मुनाफा मिलता है और लंबे समय के लिए निवेश करने वाले लोग भी इन्हें पसंद कर रहे हैं। इसलिए कई बैंक इंफ्रा बॉन्ड जारी कर रहे हैं। लेकिन जमा का पैसा बैंकों के लिए जरूरी है, उसकी जगह इंफ्रा बॉन्ड नहीं ले सकते।

प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में से, आईसीआईसीआई बैंक ने भी पिछले महीने 10 साल के इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिए 7.53% की दर से 3,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बॉन्ड बाजार का रुख किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एचडीएफसी बैंक भी इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिए 15,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बना रहा है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड कम से कम सात साल के लिए जारी किए जाते हैं और बैंक इस फंड का इस्तेमाल लंबी अवधि के इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए करते हैं।

बैंकों को डिपॉजिट मिलने में हो रही समस्या

बैंकों ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के माध्यम से पैसा जुटाना शुरू कर दिया है क्योंकि अर्थव्यवस्था में कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए जमा राशि जुटाने में उन्हें काफी दिक्कत हो रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बार-बार इस बात पर चिंता जता चुका है कि बैंकों द्वारा जमा राशि जुटाने की रफ्तार बहुत धीमी है, जिसकी वजह से बैंकों को कर्ज देने और जमा राशि के बीच असंतुलन पैदा हो गया है।

हाल के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों को जमा पर मिलने वाली राशि में कमी आई है, जून के अंत तक यह घटकर 10.6 प्रतिशत हो गई है। वहीं इस दौरान लोन लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, ऋण वृद्धि 13.9 प्रतिशत रही। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों को अब जमा राशि जुटाने के लिए और प्रयास करने होंगे ताकि लोगों को लोन देने में उन्हें परेशानी न हो।

गेफियोन कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक प्रकाश अग्रवाल ने कहा, बैंकों को जमा राशि जुटाने में दिक्कत आ रही है, इसलिए हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक सहित कम से कम तीन सरकारी बैंकों ने ज्यादा जमा राशि जुटाने के लिए सीमित अवधि के लिए विशेष डिपॉजिट स्कीम शुरू की हैं। लेकिन जमा राशि पर ज्यादा ब्याज दरें देने के बावजूद भी बैंकों को परेशानी हो रही है।

दूसरी तरफ, इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड पर बैंकों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इसके अलावा, इन बॉन्डों से जुटाए गए फंड लंबी अवधि के होते हैं और बैंकों को इस पर रिजर्व बैंक में रखने की जरूरत नहीं होती है। यही वजह है कि बैंक अब इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करने की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं।

First Published - July 16, 2024 | 8:53 PM IST

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