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तिमाही नतीजों का आकलन: राजस्व को मिलेगी रफ्तार, इनपुट लागत से बढ़ेगा मार्जिन

आकलन है कि एबिटा एक साल पहले के मुकाबले 13 से 18 फीसदी तक बढ़ेगा।

Last Updated- October 07, 2024 | 11:50 PM IST
Editorial: Challenges of India's manufacturing sector, over-regulation and the trap of small plants भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियां, अति नियमन और छोटे संयंत्रों का जाल

ब्रोकरेज फर्मों का अनुमान है कि पूंजीगत सामान बनाने वाली कंपनियां सितंबर तिमाही में राजस्व और आय में दो अंकों में वृद्धि दर्ज करेंगी। उन्होंने देखा है कि पिछले तीन महीने में कच्चे माल की कीमतों में नरमी जारी रही है जबकि नए ऑर्डर मिलने जारी रहे। ब्रोकरेज फर्मों मोतीलाल ओसवाल, कोटक और इलारा कैपिटल का अनुमान है कि तिमाही के दौरान राजस्व यानी बिक्री में वृद्धि 12 से 22 फीसदी के दायरे में रहेगी। उनका आकलन है कि एबिटा एक साल पहले के मुकाबले 13 से 18 फीसदी तक बढ़ेगा।

इलारा कैपिटल का कहना है कि बढ़िया औद्योगिक मांग और पिछले ऑर्डर के क्रियान्वयन के कारण बिक्री में सालाना आधार पर 14 फीसदी का अनुमान है। इलारा कैपिटल के विश्लेषकों ने नोट किया है कि एलऐंडटी को छोड़कर बाकी अहम पूंजीगत सामान कंपनियों ने दूसरी तिमाही में 79,300 करोड़ रुपये के संचयी ऑर्डर का ऐलान किया है जो एक साल पहले के मुकाबले 182 फीसदी ज्यादा हैं। बीएसई को किए गए खुलासे के मुताबिक एलऐंडटी ने इस अवधि में 47,500 करोड़ रुपये के ऑर्डर का ऐलान किया है।

ब्लूमबर्ग की रायशुमारी में छह विश्लेषकों ने देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग दिग्गज कंपनी एलऐंडटी का राजस्व 56,652 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है जबकि तीन विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का समायोजित शुद्ध लाभ 2,558 करोड़ रुपये रहेगा। बढ़िया ऑर्डर बुक पर क्रियान्वयन से दूसरी तिमाही में राजस्व वृद्धि को रफ्तार मिल सकती है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे माल की नरम कीमतों के कारण मार्जिन स्थिर बना रहेगा।

मार्जिन के मोर्चे पर मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों का मानना है कि जिंस की कीमतें नरम रहने, लागत बचत के उपायों और उत्पाद मिश्रण में सुधार आदि से इसके स्थिर दायरे में रहने की आशा है। वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही के मुकाबले हाल के महीने में तांबे की कीमतें दो फीसदी नरम हुई हैं जबकि एल्युमीनियम 4 फीसदी सस्ता हुआ है और जस्ता स्थिर रहा है। ऐसे में उन्हें मार्जिन में सालाना आधार पर 30 आधार अंकों की बढ़ोतरी का अनुमान है।

हालांकि हाल में इनपुट लागत में नरमी से मिलने वाला लाभ पूंजीगत सामान के उप-क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रह सकता है। पिछले महीने बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब में इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कारपोरेट रेटिंग्स) आशिष मोदानी ने कहा था कि 18 से 24 महीने वाली निर्माण परियोजनाओं के साथ सामान्य तौर पर कमोडिटी इंडेक्स से जुड़ाव वाला वैरिएशन प्राइस क्लॉज होता है जिसके तहत जिंस की कीमतों में घट-बढ़ का भार ग्राहक या परियोजना देने वाली अथॉरिटी पर डाला जाता है।

उन्होंने कहा कि औद्योगिक परियोजनाओं और वेयरहाउस बनाने वाली निर्माण कंपनियों के लिए आम तौर पर निस्छिक कीमत वाला कॉन्ट्रैक्ट होता है क्योंकि उसकी अवधि कम होती है। ऐसे में ऐसी ईपीसी इकाइयों को अल्पावधि में जिंस की कीमतों में नरमी का फायदा हो सकता है।

कोटक के विश्लेषक भी इस राय से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि स्टील की कीमतों में ठीक-ठाक गिरावट का फायदा वित्त वर्ष 25 की दूसरी छमाही में मिलेगा। साथ ही क्रमिक आधार पर मार्जिन में गिरावट की संभावना है।

First Published - October 7, 2024 | 11:49 PM IST

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