अमेरिकी सरकार द्वारा एआई चिप निर्यात सीमित करने वाले नियम लाए जाने के ऐलान के एक दिन बाद भारतीय उद्योग जगत के प्रमुखों और संघों ने चिंता जताई है कि इस कार्रवाई से भारत के एआई क्षेत्र पर असर पड़ेगा। उद्योग जगत की कंपनियों और संगठनों के अनुसार जीपीयू तक सीमित पहुंच के कारण इन नियमों से एआई विकास में बाधा उत्पन्न होगी और इन से खरीद लागत में भी इजाफा हो सकता है।
इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा, ‘बड़े स्तर वाले एआई डेटा सेंटर, जिनके लिए कई सैकड़ों-हजारों जीपीयू की आवश्यकता होती है, में विलंब हो सकता है या उनका आकार छोटा किया जा सकता है, जिससे वैश्विक कंपनियों को भारतीय उद्यमों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है।’
भारत के राष्ट्रीय एआई मिशन का लक्ष्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से 10,000 से अधिक जीपीयू के साथ बुनियादी ढाँचा विकसित करना है, जिसे पाँच वर्षों में ₹10,000 करोड़ के निवेश से समर्थन प्राप्त है। एचसीएल के संस्थापक, ईपीआईसी फाउंडेशन के अध्यक्ष और एमजीबी नेशनल क्वांटम मिशन ऑफ इंडिया के अजय चौधरी ने कहा कि भारत को अपने चिप्स के डिजाइन और निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।