इंडिगो के पायलट मनोज सुब्रमण्यम (40 वर्ष) का 17 अगस्त की दोपहर नागपुर हवाईअड्डे पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पुणे रवाना होने वाली उड़ान में दाखिल होने से ठीक पहले यह घटना हुई। उनकी मौत के बाद पायलटों के थकान को कम करने की भारतीय विमान कंपनियों की आंतरिक प्रक्रियाओं और मौजूदा विमान उड़ाने की समय सीमा (एफडीटीएल) के मानदंडों पर एक बार फिर चर्चा होने लगी है। इसे अप्रैल 2019 में नागर विमानन महानिदेशालय ने लागू किया था।
इंडिगो के अन्य पायलटों के अनुसार, कैप्टन सुब्रमण्यम ने कथित रूप से 15 अगस्त (चेन्नई-तिरुवनंतपुरम विमान) और 16 अगस्त (तिरुवनंतपुरम-पुणे विमान और पुणे-नागपुर विमान) को लगातार दो रातों तक विमान उड़ाया था। फिर उन्हें लगभग 27 घंटे आराम करने का वक्त मिला और 17 अगस्त को फिर उनका नागपुर से पुणे तक विमान उड़ाने का कार्यक्रम था।
वर्ष 2019 के नियमों के अनुसार एक पायलट को सप्ताह में एक बार लगातार दो रात (रात 12 बजे से सुबह 5 बजे के बीच) के लिए वाणिज्यिक यात्री उड़ान चालन के लिए कहा जा सकता है। वर्ष 2011 के एफडीटीएल नियमों में ऐसा नहीं था मगर इसे साल 2019 के नियमों में बदला गया।
इंडिगो ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि कैप्टन सुब्रमण्यम ने साल 2022 और 2023 में विमानन कंपनी को कितनी बार अपनी थकावट के बारे में जानकारी दी थी।
अब पायलट 2019 के नियमों के विरोध में आ गए हैं। 2011 के नियमों के तहत एक पायलट को लगातार दो रातों तक केवल कार्गो उड़ानें उड़ाने की अनुमति थी, जिसके बाद उसे कम से कम 54 घंटे आराम करना अनिवार्य था।
एयर इंडिया के पायलट संघ भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपने हस्तक्षेप आवेदन में कहा, ‘2019 के नियमों में अब यात्री परिचालन के लिए लगातार दो रातों की संचालन अवधि बढ़ा दी गई है मगर उड़ान के बाद पायलटों के आराम करने के घंटे को 54 से कम कर 24 कर दिया गया है।
2019 के नियमों में इस बदलाव का कोई आधार नहीं है।’ अदालत का मामला 2019 मानदंडों के खिलाफ एयर इंडिया के एक अन्य पायलट संघ इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) द्वारा दायर एक रिट याचिका पर आधारित है। 8 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई के दौरान डीजीसीए ने कहा कि वह उन सभी दस्तावेजों को लाएगा जिनके कारण 2019 के मानदंड तैयार किए गए थे।