भारत के विनिर्माण क्षेत्र को जलवायु के अनुकूल प्रक्रियाओं से प्रेरित होने और निर्यात केंद्रित वृद्धि का लक्ष्य रखने की जरूरत है। बिज़नेस स्टैंडर्ड से दिल्ली में बुधवार को बातचीत में सीआईआई सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के चेयरमैन और गोदरेज ऐंड बॉयस के चेयरमैन जमशेद गोदरेज ने कहा कि इसके साथ ही विनिर्माण क्षेत्र को कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) जैसे नियमन को वैश्विक पहुंच की दिशा में एक अवसर के रूप में लेना चाहिए।
ग्रीन बिजनेस सेंटर के संस्थापक सदस्यों में से एक गोदरेज ने कहा कि सीबीएएम का विचार हर देश के लिए अच्छा है, जिससे उद्योग को सततता के मोर्चे पर सुधार के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही उन्हें इससे सस्ते निर्यात से संरक्षण भी मिलेगा।
गोदरेज ने कहा, ‘अभी हम भारत के उद्योग को सस्ते आयात जैसे कि चीन से स्टील के आयात से संरक्षण दे रहे हैं, लेकिन हम दूसरे पहलू पर काम नहीं कर रहे हैं। भारत के पास भी सीबीएएम जैसा कुछ होना चाहिए। हमें कोई भी सस्ते उत्पाद की पेशकश कर सकता है। लेकिन क्या हमारे टैरिफ नियम ऐसे हो सकते हैं कि आप यहां केवल सस्ता सामान नहीं ला सकते हैं। आपको कुछ ऐसा भी लाना होगा जिसका कार्बन फुटप्रिंट बेहतर हो, अन्यथा आपको ज्यादा शुल्क चुकाना होगा।’
उन्होंने कहा कि सीबीएएम से कारोबार प्रभावित होगा, लेकिन उनका मानना है कि यह कम अवधि के लिए होगा।
गोदरेज ने कहा, ‘यूरोप अगर सीबीएएम के बारे में सोच सकता है तो हम भी अपने सीबीएएम के बारे में सोच सकते हैं और उस पर चरणबद्ध तरीके से बढ़ सकते हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमें उसी तरह की योजना बनानी चाहिए, जो भारत के उद्योगों को ज्यादा कार्बन न्यूट्रल बनने के लिए बढ़ावा दे। उन्हें फायदा तब होगा, जब वे निर्यात करेंगे और वे जलवायु अनुकूल आपूर्ति श्रृंखला भी बनाएंगे।’
उन्होंने कहा कि जैसे जैसे प्रमुख कारोबारी हरित विकल्प की ओर अपने विनिर्माण को ले जाएंगे, इसका आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘अगर वोल्वो जैसी ट्रक निर्माता कंपनी कहती है कि उसके विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले सभी पुर्जे हरित होंगे, तो आपूर्ति श्रृंखला भी अपने कारोबार को नए सिरे से परिभाषित करेगी।’
गोदरेज ने भारत की अर्थव्यवस्था में खपत में मंदी के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘अगर हमारी निर्यात केंद्रित वृद्धि होती तो अब स्थिति अलग होती। विनिर्माताओं को अगर सही नीतियों का सहारा मिले, बेहतरीन अवसर और बुनियादी ढांचा सुविधाएं मिलें तो वे वैश्विक स्तर पर बड़ी कंपनियां बन सकती हैं। वहीं से वृद्धि आएगी। भारत में क्रय शक्ति सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में बढ़ती है।’
उन्होंने कहा कि अगर आप निर्यात नहीं करते हैं तो ज्यादा जोखिम में हैं क्योंकि आप सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं। अगर आपके पास 20 बाजार होंगे और उनमें से 5 खराब प्रदर्शन करते हैं तो कम से कम 15 बेहतर प्रदर्शन करेंगे।