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भारतीय दवा उद्योग को अमेरिकी टैरिफ से राहत, जेनेरिक दवा बाजार में बनी रहेगी मजबूत पकड़

ट्रंप सरकार ने 27% शुल्क से दी छूट, निफ्टी फार्मा में उछाल, विशेषज्ञों ने जताई आपूर्ति चुनौतियों की आशंका

Last Updated- April 03, 2025 | 11:25 PM IST
The India Story: The journey of becoming ‘the pharmacy of the world’ ‘दुनिया का दवाखाना’ बनने का सफर

भारतीय दवा विनिर्माताओं को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फार्मास्युटिकल उद्योग को 27 प्रतिशत के जवाबी शुल्क से छूट दी है। इसका मतलब यह है कि अमेरिकी जेनेरिक दवा बाजार में भारतीय दवा उद्योग की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया गया है।

भारतीय दवा विनिर्माता अमेरिका में जेनेरिक दवा की जरूरत के 47 प्रतिशत की आपूर्ति करते हैं और शुल्क से अमेरिकी घरेलू बाजार में मरीजों के लिए दवा की कीमतें बढ़ जातीं। अमेरिका दवा की कमी से जूझ रहा है। निफ्टी फार्मा ने इस खबर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और 2.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन जैसी कंपनियों के शेयरों में दिन के कारोबार दौरान तीन से छह प्रतिशत के बीच वृद्धि देखी गई, जिनका अमेरिका में खासा कारोबार है।

भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) देश की शोध संचालित बड़ी दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इन कंपनियों की संयुक्त रूप से भारत के निर्यात में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सेदारी करती हैं। आईपीए ने कहा कि फार्मास्युटिकल को शुल्क से छूट देने का निर्णय सार्वजनिक स्वास्थ्य में सस्ती दवाओं की अहम भूमिका बताता है। आईपीए के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘यह निर्णय सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा में किफायती लागत, जीवन रक्षक जेनेरिक दवाओं की बड़ी भूमिका को रेखांकित करता है।’ In a

उन्होंने कहा ‘भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार संबंध हैं। इसे मिशन 500 पहल के तहत व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक ले जाने का साझा दृष्टिकोण है। फार्मास्युटिकल इस साझेदारी का आधार बना हुआ है क्योंकि भारत सस्ती दवाओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करके वैश्विक और अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा में अहम भूमिका निभाता है।’

आईपीए ने सरकार से उन दवाओं के आयात पर सीमा शुल्क हटाने पर विचार करने का अनुरोध किया था जो पांच से 10 प्रतिशत के बीच या उससे अधिक है। भारत अमेरिका को 8.7 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात करता है, जबकि वह लगभग 80 करोड़ डॉलर की दवाओं का आयात करता है।

हालांकि इस क्षेत्र पर अब दो बड़ी अनिश्चितताएं मंडरा रही हैं कि इस क्षेत्र पर भविष्य में शुल्क का जोखिम तथा यह भी कि कच्चे माल (बल्क ड्रग) की कीमतें कैसे बढ़ेंगी क्योंकि हम आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर हैं। विश्लेषकों ने कहा कि अगर यह मान भी लें कि 10 प्रतिशत शुल्क लगाया जाता है (भारत दवाओं पर पांच से 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाता है), तो भी शायद इसका उतना बड़ा प्रभाव न हो।

First Published - April 3, 2025 | 11:25 PM IST

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