भारतीय विमानन कंपनियां और ज्यादा सीधी उड़ानों के साथ अंतरराष्ट्रीय आकाश में भले ही अपनी पकड़ मजबूत कर रही हों, लेकिन यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे कई गैर पश्चिम एशियाई मार्गों पर विदेशी विमानन कंपनियां काफी आगे हैं और कई मामलों में भारत के आकाश में अपना दबदबा बनाए हुए हैं।
उदाहरण के लिए एयर एशिया को ही लीजिए। वह घरेलू आसमान पर अपनी छाप छोड़ने में विफल रही और उसने टाटा को अपनी हिस्सेदारी बेच दी। लेकिन एयर एशिया भारत से लेकर मलेशिया और यहां तक कि थाईलैंड के बाजारों में एक ताकत है।
सिरियम के आंकड़ों के अनुसार भारत-मलेशिया मार्ग पर एयर एशिया पहले स्थान पर है और सितंबर 2024 के आंकड़ों के आधार पर कुल सीट क्षमता का 46 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करती है। इसने भारतीय विमानन कंपनियों को पीछे किया हुआ है और उनके पास सामूहिक रूप से भारत से क्षमता की पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है।
यहां तक कि एयर एशिया थाईलैंड भी अपनी ताकत दिखा रही है। सितंबर में 17 प्रतिशत सीट क्षमता की हिस्सेदारी के साथ वह पहले ही भारत और थाईलैंड के बीच तीसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी है, जो एयर इंडिया और विस्तारा की संयुक्त हिस्सेदारी से भी ज्यादा है। बेशक थाई एयरवेज 36 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद इंडिगो एयरलाइंस का स्थान है।
इंडिगो, एयर इंडिया, एआई एक्सप्रेस और विस्तारा की उड़ानों के बावजूद भारत-सिंगापुर के लोकप्रिय बाजार में सिंगापुर एयरलाइंस और उसकी सहायक कंपनी स्कूट की संयुक्त रूप से अब भी निर्विवाद रूप से बादशाहत है। सिरियम के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में भारत और सिंगापुर के बीच दोनों के पास करीब 57 प्रतिशत सीट क्षमता है और विस्तारा का एआई के साथ विलय तथा एआई एक्सप्रेस के टाटा के पास आने के बावजूद वे सामूहिक रूप से 24.8 प्रतिशत के स्तर पर काफी पीछे हैं। लेकिन अगर इंडिगो को भी जोड़ लिया जाए, तो यह 43 प्रतिशत के करीब हो जाती है। यूरोप के मार्गों पर सीधी उड़ानों के साथ भारतीय विमानन कंपनियों की मौजूदगी अब भी नगण्य है।