सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का प्रतिनिधित्व करने वाले औद्योगिक संगठन ने सरकार से 5 करोड़ रुपये से कम टर्न ओवर वाली एमएसएमई को बेवजह ऑडिट और जांच से छूट देने की मांग की है, जब तक कि कोई बड़ी चूक या विसंगति सामने न आ जाए।
देश में करीब 98,200 एमएसएमई का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन इंडिया एसएमई फोरम ने कहा, ‘इसके अलावा बजट में एमएसएमई की ईमानदार गलतियों को नरमी से संभालने के लिए अनुपालन अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए दिशा-निर्देश और धन की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे एक मददगार नियामकीय वातावरण को बढ़ावा मिले। इस बार के बजट में एक व्यापक त्रुटि माफी कार्यक्रम की भी शुरुआत की जानी चाहिए। इस कार्यक्रम में जीएसटी फाइलिंग की छोटी-मोटी खामियों या देरियों के लिए दंड माफी हो और न्यूनतम जुर्माने के साथ रद्द किए गए जीएसटी पंजीकरण के लिए सरलीकृत बहाली प्रक्रिया प्रदान की जानी चाहिए।’
इन सिफारिशों में यह भी मांग की गई है कि ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) प्लेटफॉर्म की दक्षता को बेहतर किया जाए और एमएसएमई को समय पर भुगतान तय किया जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति की सिफारिशों के अनुरूप इसे जीएसटी प्रणाली और सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जेम) पोर्टल के साथ निर्बाध रूप से एकीकृत करने की जरूरत है।
इन क्रम में सुझाव दिया गया है, ‘जीएसटी-टीआरईडीएस-जेम का परस्पर जुड़ा प्लेटफॉर्म निर्धारित भुगतान तिथि के बाद, जो कि लिखित समझौते के मामले में 15 दिन या 45 दिन है, बिना भुगतान वाले इनवाइस को खरीदार के जीएसटी पोर्टल पर स्वचालित रूप से अग्रेषित कर सकता है।’
एमएसएमई का प्रतिनिधित्व करने वाले एक और प्रमुख संगठन भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम महासंघ (एफआईएसएमई) ने मौजूदा स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए) के ढांचे के मुद्दों को हल करने के लिए एक समग्र नीति बनाने की मांग की है। इस नीति से एमएसएमई के खातों को शुरुआती दबाव से राहत मिलने की उम्मीद है।
एफआईएसएमई ने बजट की सिफारिशों में जोर दिया कि एसएमए ढांचा केवल दबाव वाले खातों को चिह्नित करने और बैंक संचालन रोकने तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें इन खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश भी शामिल करने चाहिए।
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