चीन से भारत में फ्लैट इस्पात के आयात का इजाफा उन बड़े एकीकृत इस्पात विनिर्माताओं को परेशान कर रहा है, जिन्होंने इस दशक के दौरान बड़े निवेश की योजना बना रखी है। लाभ में गिरावट के चक्र में फंसे इस्पात विनिर्माता केंद्र सरकार से देसी उद्योग की सुरक्षा के लिए व्यापार और गैर-व्यापार उपाय लागू करने की मांग कर रहे हैं। आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) के निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी दिलीप उम्मेन ने वीडियो साक्षात्कार में ईशिता आयान दत्त को बताया कि अगर सरकार वक्त रहते कदम नहीं उठाती है, तो हालात और बदतर ही होंगे। प्रमुख अंश …
मांग यह थी कि उद्योग को संरक्षित करने की जरूरत है। हमें मुनाफा कमाने की जरूरत है ताकि हम वृद्धि के लिए फिर से निवेश कर सकें, नए उत्पाद ला सकें और कार्बन उत्सर्जन कम कर सकें। अगर हम मुनाफा नहीं कमाएंगे, तो हम यह कैसे करेंगे? भारत इस्पात के शुद्ध निर्यातक से इस्पात का शुद्ध आयातक बन गया है।
अप्रैल से सितबंर के दौरान कुल आयात करीब 44.8 लाख टन रहा और निर्यात करीब 19.3 लाख टन । भारत में कुछ नई क्षमताएं भी आ रही हैं। इसलिए अगर आयात पर अंकुश नहीं लगाया जाता है, तो इससे निश्चित रूप से भारत में फ्लैट उत्पादों में और निवेश रुक जाएगा।
इस्पात के फ्लैट उत्पाद संयंत्र मार्जिन की भारी कमी से गुजर रहे हैं, इसके नतीजे खुद ही सब बयां कर रहे हैं। इन उत्पादों की कीमतों में खासी गिरावट आई है। पिछले साल के मध्य से हॉट रोल्ड कॉइल की कीमतों में 15 प्रतिशत तक और अप्रैल-मई 2022 के बाद से 38 प्रतिशत की गिरावट आई है।
यह उन देशों में उथल-पुथल की वजह से है, जहां हम निर्यात कर रहे थे और चीन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है। हम सभी जानते हैं कि चीन में इस्पत का काफी ज्यादा उत्पादन हो रहा है। चीन 12 से 13 करोड़ टन निर्यात कर रहा है, जो भारत में निर्मित इस्पात की मात्रा के लगभग बराबर है।
हालात इसलिए भी खराब हो रहे हैं क्योंकि अमेरिका, कनाडा, यूरोप, तुर्की जैसे देशों ने व्यापार बाधाएं खड़ी कर दी हैं। इसलिए जिन देशों ने व्यापार प्रतिबंध नहीं लगाए हैं, उनमें या तो सीधे चीन या दूसरे देशों के रास्ते इस्पात की बाढ़ आएगी। भारत में 90-95 फीसदी आयात फ्लैट उत्पादों का है जबकि लोंग का बेहद मामूली।
वे विचार कर रहे हैं। हमने कहा है कि 20 जनवरी से हालात और खराब हो जाएंगे। अमेरिका चीन के आयात पर बहुत अधिक शुल्क लगाएगा, शायद 100 प्रतिशत और वे शायद कई अन्य देशों पर भी शुल्क लगाएंगे। इसलिए अगर भारत ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो भारत के लिए हालात बदतर हो जाएंगे।
हां, हम पूरी तरह से फ्लैट उत्पादों में हैं। अभी तक हमारे पास लोंग प्रोडक्ट की विनिर्माण इकाई नहीं है।
अगर उद्योग घाटे में होगा, तो कोई विस्तार के बारे में क्यों सोचेगा।