पिछले 6 महीने से शहरी उपभोक्ताओं पर दबाव बना हुआ है और वे अब अपने घरेलू बजट को नियंत्रित बनाए रखने के लिए छोटे पैकेट, या गैर-ब्रांडेड उत्पादों की खरीदारी पसंद कर रहे हैं। कंपनियों का कहना है कि शहरी उपभोक्ताओं पर ऋणों और पर्सनल लोन एवं क्रेडिट कार्ड बकाया जैसी देनदारियों की वजह से वित्तीय दबाव बना हुआ है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने एक बार फिर शहरी मांग में कमजोरी की बात कही है, क्योंकि उपभोक्ता छोटे पैक को प्राथमिकता दे रहे हैं।
HUL के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक रोहित जावा ने अपने वित्तीय नतीजे की घोषणा के बाद विश्लेषकों के साथ बातचीत में कहा, ‘पिछले छह महीनों में कुल एफएमसीजी वॉल्यूम वृद्धि धीमी हो गई है, जो कमजोर मांग का संकेत है। शहरी वृद्धि धीमी पड़ रही है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में धीरे-धीरे सुधार जारी है।’
पारले प्रोडक्ट्स (Parle Products) ने भी कहा कि शहरी क्षेत्रों में खपत में कमी आई है।