देश का हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र फर्राटे भर रहा है। मध्यम-आय वर्ग, घरेलू पर्यटन में उछाल और भारतीय बाजार में मांग-आपूर्ति में अंतर के बल पर आने वाले समय में इसमें निवेश और विस्तार में और तेजी आएगी। उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में ऐसी राय व्यक्त की।
होटलीवेट के चेयरमैन मानव थडानी ने होटल इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस- साउथ एशिया 2025 परिचर्चा में कहा कि उद्योग में आने वाले पांच वर्षों के दौरान 1,00,000 से ज्यादा कमरे जुड़ने की उम्मीद है। पिछले साल की तुलना में यह 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस उद्योग में अमूमन हर साल 7,000 से 8,000 कमरे जोड़े जाते थे। अब ब्रांडेड होटलों में मांग बढ़ने के कारण 12,000 से 15,000 प्रति वर्ष की वृद्धि के साथ इसकी गति बढ़ गई है। अधिकारियों ने कहा कि तेजी से बढ़ते मध्यम-आय वर्ग, घरेलू पर्यटन में उछाल और भारतीय बाजार में मांग-आपूर्ति में अंतर के कारण यह वृद्धि दर्ज की जा रही है।
रेडिसन होटल ग्रुप के चेयरमैन (दक्षिण एशिया) और होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष केबी काचरू ने कहा कि क्षेत्र की तेज वृद्धि का कारण बाजार में कम स्टॉक (वर्तमान में 2,00,000 से कम कमरे) है। उन्होंने कहा कि पिछले साल हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में निवेश बढ़ा है, जिससे अगले साल तक यह रुझान जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि देश में संपन्न और अति संपन्न सेगमेंट में विकास के भरपूर अवसर हैं। सरोवर होटल्स के चेयरमैन और लौवर होटल्स, इंडिया के निदेशक अजय बकाया ने कहा कि यह दौर सबसे व्यस्त समय में से एक रहा।
कुछ ऐसा ही माहौल आर्थिक उदारीकरण के दौरान भी देखा गया था। होटल एसेट-मैनेजमेंट फर्म के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि 2004-06 की अवधि में इस क्षेत्र में सबसे वृद्धि देखी गई। इसके बाद लगभग एक दशक तक सुस्ती छायी रही, लेकिन सौदों और निवेश के मामले में फिर 2024-26 में उद्योग ऐतिहासिक गति पकड़ने की संभावना जता रहा है। एचवीएस एनारॉक द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 200 से ज्यादा होटल शुरू हुए, जिनमें बाजार में 13,800 से ज्यादा कमरे जोड़े गए। दिसंबर में उद्योग में 1,90,000 से ज्यादा कमरे थे। हॉर्वेथ होटल, टूरिज्म ऐंड लीजर द्वारा इंडिया होटल रिव्यू 2024 में कहा गया है कि वर्ष 2029 तक होटल क्षेत्र में 3,00,000 से ज्यादा कमरे जोड़े जाने की उम्मीद है।
सिंगापुर की कैपिटा लैंड इन्वेस्टमेंट की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एस्कॉट का लक्ष्य 2028 तक भारत में अपने पोर्टफोलियो को दोगुना कर 12,000 कमरों तक करना है। पिछले साल के अंत तक इसके पास लगभग 5,500 कमरे थे। एस्कॉट के सीईओ केविन गोह ने एक बयान में कहा, ‘भारत एस्कॉट के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार है, जिसमें विकास की व्यापक संभावनाएं हैं, क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।’
उन्होंने कहा, ‘तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग, खर्च योग्य आय में वृद्धि और बेहतर इन्फ्रा के साथ देश का आर्थिक परिदृश्य यात्रा और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए अवसरों के नए द्वार खोल रहा है। तमाम सकारात्मक संभावनाओं के बावजूद भारत में ब्रांडेड होटल के कमरों की आपूर्ति बहुत सीमित है। इससे यहां मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता जा रहा है। एस्कॉट इस अंतर को पाटने एवं देश के हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र के विकास में योगदान देने की व्यापक संभावनाएं देख रहा है।’
मैरियट इंटरनैशनल (दक्षिण एशिया) की क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रंजू एलेक्स ने एक पैनल परिचर्चा में कहा कि भारत में होटल क्षेत्र के लगभग 70 प्रतिशत करार लग्जरी, जबकि 20 प्रतिशत रिजॉर्ट और लीजर सेगमेंट में थे। उन्होंने कहा कि भारत मैरियट इंटरनैशनल के लिए वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैरियट ने 2024 में टॉप लाइन में 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया था।
उसी पैनल डिस्कशन में रेडिसन होटल समूह (दक्षिण एशिया) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीओओ निखिल शर्मा ने कहा कि पिछला साल देश में होटल करार के लिए बहुत ही सुनहरा रहा। दूसरी ओर, लेमन ट्री होटल्स के मैनेज्ड ऐंड फ्रैंचाइज डिवीजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विलास पवार ने कहा कि उनके ग्रुप ने 2024 में 50 साइनिंग की थी, जिनमें कोविड के बाद से कंपनी का रेवेन्यू साल-दर-साल 15 से 20 प्रतिशत बढ़ रहा है। उन्हें आने वाले वर्षों में भी इसी तरह वृद्धि होने की उम्मीद है। हिल्टन होटल्स, (दक्षिण एशिया) के सीनियर वाइस- प्रेसिडेंट और रीजनल हेड ज़ुबिन सक्सेना ने कहा, ‘भारत के लिए सेवा क्षेत्र बहुत बड़ी विकास गाथा है।’ उन्होंने कहा कि यहां हिल्टन की रणनीति अगले 10 वर्षों में 10 गुना वृद्धि करने की है।