उदयपुर स्थित हिंदुस्तान जिंक (Hind Zinc) कार्बन शून्य संयंत्र तैयार करने और अन्य क्षेत्रों में अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए खाका तैयार कर रही है। हिंदुस्तान जिंक विश्व की सबसे बड़ी जिंक उत्पादक कंपनी है।
इसके लिए वेदांत समूह (Vedanta group) की कंपनी ने अगले कुछ वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना बनाई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्याधिकारी अरुण मिश्र ने कहा कि कंपनी 8,000 करोड़ रुपये का खर्च राजस्थान में अपनी सभी खदानों में चलने वाली मशीनों का बैटरी में परिवर्तन और इसके संचालन के लिए 200 मेगावॉट तक अक्षय ऊर्जा (renewable energy) की सोर्सिंग पर खर्च करेगी।
उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों में राजस्थान के चंदेरिया में एक उर्वरक संयंत्र और एक रोस्टर इकाई स्थापित करने के लिए 2,200-2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके पीछे का उद्देश्य सल्फ्यूरिक एसिड का बेहतर उपयोग करना है, जो जिंक स्मेल्टिंग का उप-उत्पाद है। मिश्र ने कहा कि, ‘हम 2050 तक शुद्ध-कार्बन शून्य (net-carbon zero) होने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दिशा में एक बड़ा कदम बैटरी से चलने वाली भूमिगत खनन मशीनों को अपनाना है। यह कार्बन उत्सर्जन में काफी कटौती कर सकती है, क्योंकि अभी हम अपने खनन कार्यों के लिए डीजल से चलने वाली मशीनों का उपयोग करते हैं।’
मिश्र ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक की खदान पर चार बैटरी से चलने वाली मशीनों का परीक्षण चल रहा है और इसकी संख्या अगले कुछ महीनों में धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी। कंपनी राजस्थान में बनी खदान में लगभग 900 खनन मशीनों का उपयोग करती है।
वहीं दूसरी तरफ हरित ऊर्जा की ओर कंपनी का रुख हिंदुस्तान जिंक के बिजली खर्च को कम करेगा, क्योंकि कोयले की कीमत और आपूर्ति लगातार अस्थिर बनी हुई है। मिश्र ने कहा कि कंपनी की योजना मार्च 2024 तक थर्मल बिजली की खपत में 40 फीसदी तक और 2027 तक पूरी तरह से कटौती करने की है। चंदेरिया की मुख्य स्मेल्टर इकाई में कंपनी का 475 मेगावाट का कैप्टिव थर्मल संयंत्र है। इसके अलावा संयंत्र में संचालन के लिए 275 मेगावॉट से अधिक पवन और 40 मेगावॉट सौर ऊर्जा का स्त्रोत भी है।
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कंपनी की वर्तमान खनन क्षमता लगभग 11 लाख टन प्रति वर्ष है। मिश्र ने कहा कि अगली कुछ तिमाहियों में इसके 12 लाख टन सालाना तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि वह वैश्विक मंदी और कोविड-19 महामारी के फिर से आने के कारण लॉकडाउन की चिंता के बावजूद अगले कुछ महीनों तक जिंक की मांग और उत्पाद को लेकर आशावादी दिखे। मिश्र ने कहा कि हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में मांग और वृद्धि के मामले में सुस्त रहने की संभावना है, अमेरिकी बाजार और अन्य उभरते देशों की बाजारों में भी मार्च तिमाही में स्थिर मांग देखने को मिलेगी।
भारत में, मांग में लगातार मजबूती बनी हुई है। मिश्र ने कहा कि सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर से जिंक की मांग लगातार बढ़ती रहेगी। जिंक का उपयोग सड़क के किनारे सुरक्षा के लिए लगने वाले रॉड, रेल और बिजली पारेषण लाइनों के लिए किया जाता है।