दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एकल न्यायाधीश के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें उसने विमानन कंपनी स्पाइसजेट को टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस के तीन इंजनों को बंद करने और उन्हें वापस करने का आदेश दिया था।
खंडपीठ ने आर्थिक संकटों का सामना कर रही विमानन कंपनी स्पाइसजेट की याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी और दोनों पक्षों को आपस में समझौता करने के लिए कहा है।
विमानन कंपनी को अब पट्टे पर दिए गए इंजन वाले विमानों को खड़ा करना होगा, जब तक वह राहत के लिए सर्वोच्च अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाती है। स्पाइसजेट ने अदालत को बताया कि कंपनी 21 विमानों का परिचालन कर रही है।
दिल्ली उच्च न्यायालय का खंडपीठ फ्रांस की कंपनी टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस से पट्टे पर लिए गए तीन इंजनों को बंद करने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ स्पाइसजेट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
नकदी संकटों का सामना कर रही स्पाइसजेट ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि वह 30 सितंबर तक 10 लाख करोड़ डॉलर की मासिक किस्त के साथ 16 लाख डॉलर का अतिरिक्त भुगतान करेगी।
विमानन कंपनी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि 12 अगस्त तक बकाया राशि में 26.7 लाख डॉलर की चूक हुई है और बकाया भुगतान के लिए 30 सितंबर तक मियाद बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी 3.57 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना है।
पट्टेदारों ने इंजनों के लिए 2 करोड़ डॉलर से अधिक के बकाया का दावा करते हुए दिसंबर में स्पाइसजेट के खिलाफ मुकदमा किया था। मगर अदालत ने विमानन कंपनी को फटकार लगाई थी और कहा था कि अगर उसके पास भुगतान करने के लिए पैसे होते तो वह अदालत में अपना बचाव नहीं करती।