हल्दीराम स्नैक्स (दिल्ली समूह का हिस्सा) और हल्दीराम फूड्स इंटरनैशनल (नागपुर मुख्यालय) दोनों कंपनियों के विलय की प्रक्रिया में हैं क्योंकि यह पूंजी जुटाने पर ध्यान दे रही और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये भी पूंजी जुटाने पर विचार कर रही है।
विलय वाली कंपनी अपनी क्षमता का विस्तार करने के लिए अगले पांच से छह साल के दौरान 2,000 करोड़ रुपये से लेकर 2,500 करोड़ रुपये तक का निवेश करने पर विचार कर रही है।
हल्दीराम फूड्स के निदेशक अविन अग्रवाल ने एक बातचीत में बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘इस वक्त हमारे पास सूचीबद्धता के लिए कोई ठोस बातचीत नहीं चल रही है, हम संगठन के भीतर मूल्य तलाशने के लिए आईपीओ के बारे में सोच रहे हैं। लेकिन इसके अलावा हम बाहरी निवेशकों की बात सुनने के लिए तैयार हैं और हम हमेशा सुझावों का स्वागत करते हैं।’
उन्होंने कहा कि हम केवल नकदी हासिल करने के लिए पूंजी जुटाने की सोच नहीं रहे हैं। अगर हम पूंजी जुटाते भी हैं, तो वह विस्तार के लिए होगी, लेकिन फिलहाल हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह आंतरिक स्रोतों से कर रहे हैं।
दो कारोबारों के विलय के संबंध में अग्रवाल ने कहा कि इस खंड में बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से ऐसा है और एक संयुक्त कंपनी के रूप में प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करना आसान रहेगा। उन्होंने कहा कि यह विलय इसी साल पूरा कर लिया जाएगा।
जबकि इस समय केवल स्नैक्स और मिठाई का हिस्सा विलय होने की प्रक्रिया में है, दोनों संस्थाओं के रेस्तरां भाग को विलय से बाहर रखा गया है और बाद की तारीख में विलय कर दिया जाएगा।
हालांकि इस वक्त कारोबार का केवल स्नैक्स और मिष्ठान वाला हिस्सा ही विलय की प्रक्रिया में है, लेकिन दोनों कंपनियों के रेस्तरां वाला भाग इस विलय से बाहर रखा गया है और इसका बाद में विलय किया जाएगा।
हल्दीराम्स नागपुर को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 23 में उसका राजस्व 3,500 करोड़ रुपये रहेगा। उसका कहना है कि कारोबार का स्नैक्स वाला हिस्सा 13 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जबकि स्नैकिंग उद्योग 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। दूसरी ओर हल्दीराम्स नागपुर का मिष्ठान खंड 25 फीसदी की अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्व सालाना आधार पर 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
व्यक्तिगत आधार पर क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार हल्दीराम के स्नैक्स में वित्त वर्ष 21 के दौरान 4,133 करोड़ रुपये का राजस्व देखा गया है।
पारंपरिक नमकीन खंड में इसकी बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी है और संगठित क्षेत्र में इसकी बाजार हिस्सेदारी 60 फीसदी है।
अग्रवाल ने कहा कि हम स्नैकिंग के लिहाज से कई नए बाजारों में प्रवेश कर रहे हैं। स्नैकिंग उद्योग करीब 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। हमें उम्मीद है कि हम उस रुख को पा लेंगे।