सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इस साल के अंत तक महारत्न कंपनी का दर्जा मिल सकता है। एचएएल इस समय नवरत्न कंपनी में शामिल है। इससे एचएएल के बोर्ड के परिचालन संबंधी और वित्तीय स्वायत्तता में वृद्धि हो जाएगी और कंपनी सरकार की अनुमति के बगैर 5,000 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं में निवेश कर सकेगी।
वहीं नवरत्न कंपनी को सिर्फ 1000 करोड़ रुपये तक स्वायत्त रूप से परियोजना में निवेश की अनुमति है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न सार्वजनिक किए जाने की शर्त पर कहा, ‘एचएएल को अपग्रेड करके नवरत्न का दर्जा दिए जाने की अपार संभावना है। शीर्ष समिति (सचिवों के समूह) ने इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। यह करीब अंतिम दौर में है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के अंत तक ऐसा कर दिया जाएगा।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना में एचएएल ने उल्लेखनीय रूप से ध्यान खींचा है। इसकी वजह है कि कंपनी को रक्षा व विनिर्माण के व्यापक ठेके मिले हैं। मई में आम चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एचएएल के प्रदर्शन की सराहना की थी, जब इसे चौथी तिमाही में रिकॉर्ड 4,000 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया था।
इस समय देश में सीपीएसई में 13 महारत्न कंपनियां (सीपीएसई) और 25 नवरत्न कंपनियां हैं। अगस्त 2023 में वित्त मंत्रालय ने ऑयल इंडिया को नवरत्न से महारत्न कंपनी की श्रेणी में डाल दिया है। अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकार रत्न के श्रेणीकरण के मानदंडों की समीक्षा करेगी।
सरकार प्रदर्शन खराब होने पर कंपनी को डाउनग्रेड करने का विकल्प भी पेश कर सकती है। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 सीपीएसई को अपग्रेड करने को मंजूरी दे दी थी। इसमें रेलटेल कॉर्पोरेशन आफ इंडिया, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सतलज जल विद्युत निगम और नैशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन शामिल हैं।