सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि निवेश बैंकर कंपनी के आईपीओ मसौदे (डीआरएचपी) को अंतिम रूप देने में लगे हैं, जिसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास शुक्रवार को जमा कराया जाएगा।
एलआईसी का आईपीओ देश में अब तक की सबसे बड़ा शेयर बिक्री होगी। इससे पहले नवंबर में पेटीएम की प्रवर्तक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस ने आईपीओ से 18,300 करोड़ रुपये जुटाए थे। लेकिन एलआईसी के आईपीओ में सरकार अपने शेयर बेचेगी। अभी एलआईसी के 100 फीसदी शेयर सरकार के ही पास हैं।
एलआईसी का मूल्यांकन 11 से 12 लाख करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। शेयर बिक्री का जिम्मा संभाल रहे एक निवेश बैंकर ने कहा कि मूल्यांकन आईपीओ के करीब आने पर तय किया जाएगा। बैंकर ने कहा, ‘कंपनी डीआरएचपी जमा करते समय बताती है कि निर्गम से कितनी रकम जुटाई जाएगी या कितने शेयर बेचे जाएंगे। सरकार का मकसद एलआईसी के जरिये 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये के बीच जुटाना है। आईपीओ के जरिये कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी, उसका निर्णय अंतिम चरण में किया जाएगा।’
अगर निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है तो सरकार सेबी के कायदों के तहत न्यूनतम हिस्सेदारी का विनिवेश कर सकती है। संशोधित नियमों के तहत 1 लाख करोड़ रुपये तक के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी को कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करना होता है। इससे अधिक बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी को 5 फीसदी हिस्सा विनिवेश करना होता है। पहले आईपीओ के तहत न्यूनतम 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी होती थी। ऐसे में अगर एलआईसी का बाजार पूंजीकरण 12 लाख करोड़ रुपये होता है तो उसे कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करना होता। लेकिन नए नियम के तहत उसे न्यूनतम 5.4 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करना होगा।
सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के लिए विनिवेश का लक्ष्य कम करके 78,000 करोड़ रुपये कर दिया है, जबकि पहले 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य था। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने अब तक विनिवेश से 12,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
हालांकि एलआईसी कितनी हिस्सेदारी का विनिवेश करेगी वह बाजार की धारणा ओर रोडशो में निवेशकों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने शेयर बिक्री का जिम्मा संभालने के लिए 16 निवेश बैंकों को नियुक्त किया है। बाजार में आईपीओ लाने से पहले निर्गम को बाजार नियामक सेबी से मंजूरी लेनी होती है। सेबी आईपीओ प्रस्ताव को मंजूरी देने में एक माह से अधिक समय लगा देता है। मगर एलआईसी के निर्गम को तीन हफ्ते में मंजूरी मिलने की संभावना है।
एलआईसी जीवन बीमा बाजार में सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है। मगर निजी कंपनियों के विविधता भरे उत्पादों और मजबूत वितरण नेटवर्क के कारण एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी कम हो रही है। जनवरी 2022 में नए कारोबार के प्रीमियम में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 61.61 फीसदी रही, जो अप्रैल 2021 में 66.18 फीसदी थी।
वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में एलआईसी को 1,437 करोड़ रुपये का शुद्घ मुनाफा हुआ था जबकि इससे एक साल पहले की समान अवधि में उसका मुनाफा महज 6.14 करोड़ रुपये था। निवेश से आय बढऩे के कारण एलआईसी का मुनाफा बढ़ा है।
