बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को आदेश दिया कि विमानन कंपनी आकाश एयर अपने उन पूर्व पांच पायलटों के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ा सकती है, जिन्होंने विमानन कंपनी के साथ अनिवार्य नोटिस अवधि पूरी नहीं की और इस्तीफा
दे दिया।
आकाश एयर के पूर्व पायलटों ने दावा किया था कि मुकदमा बंबई उच्च न्यायालय में नहीं चलना चाहिए क्योंकि अनुबंध मुंबई में निष्पादित नहीं किए गए थे। बंबई उच्च न्यायालय ने पायलटों की इस दलील को खारिज कर दिया अदालत के पास अनुबंध संबंधी विवाद से निपटने का क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि उन्हें मुंबई में निष्पादित नहीं किया गया था।
आकाश एयर ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने माना कि कार्रवाई के कारण के रूप में इस्तीफा अदालत के अधिकार क्षेत्र में ही आता है।
न्यायमूर्ति एसएम मोडक की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा, ‘मैं छुट्टी मंजूर करने के पक्ष में हूं क्योंकि ईमेल के जरिये इस्तीफा देना पर्याप्त हो सकता है। इस्तीफे पर अंततः कंपनी को निर्णय कंपनी को लेना होता है। कंपनी इस्तीफे को स्वीकार करने से इनकार भी कर सकती है या शर्तों के साथ स्वीकार कर सकती है अथवा अगली किसी तिथि से स्वीकार कर सकती है। अगर नियोक्ता के पास ये विकल्प मौजूद हैं और ईमेल मिलने (मुंबई में) के बाद उनका इस्तेमाल किया जा सकता है तो यह मामला न्यायालय अधिकार क्षेत्र में ही आता है।’
अदालत आकाश द्वारा दायर अंतरिम राहत की याचिका पर 4 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। मुंबई में नहीं रहने वाले छह मे से पांच पायलटों ने मुंबई में मुकदमा दायर करने के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई थी। एक पायलट ने क्षेत्राधिकार के बारे में कोई आपत्ति नहीं जताई क्योंकि वह मुंबई में ही रहता था।
आकाश एयर की ओर से अदालत में वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास पेश हुए जबकि पायलटों की तरफ से वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने बहस की। आकाश एयर अनिवार्य नोटिस अवधि पूरी करने से विमानन कंपनी छोड़ने वाले पायलटों से भारी जुर्माना अदा करने की मांग कर रही है। यह रकम करोड़ों रुपये तक पहुंच गई है।
कंपनी ने उड़ानों के रद्द होने के कारण परिचालन नुकसान और प्रतिष्ठा धूमिल करने का हवाला दिया है। विमानन कंपनी के पायलटों को छह महीने (प्रथम अधिकारी) और एक साल (कप्तान) की नोटिस अवधि पूरी करनी होती है।
पायलटों के खिलाफ डीजीसीए कर सकता है कार्रवाई : अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को विमानन कंपनी आकाश एयर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नोटिस अवधि पूरी नहीं करने वाले और नागरिक उड्डयन मानदंडों का अनुपालन नहीं करने वाले पायलटों पर नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) पर कार्रवाई कर सकता है।