प्रमुख FMCG कंपनियों का मानना है कि मांग में गिरावट का दौर थम गया है और ग्रामीण बाजारों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों के सामान को FMCG श्रेणी में रखा जाता है। गौरतलब है कि पिछली कुछ तिमाहियों में FMCG उत्पादों का ग्रामीण बाजार दबाव में रहा है।
एचयूएल, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल), डाबर, मैरिको और इमामी जैसी कंपनियों ने जिंस कीमतों में दबाव कम होने की बात कही है। इनका कहना है कि उन्हें आगे चलकर खपत में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है और वे विज्ञापन एवं प्रचार (एएंडपी) में निवेश बढ़ा रही हैं।
इन कंपनियों ने 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त तीसरी तिमाही में शहरी बाजारों में वृद्धि दर्ज की है। इसके अलावा आधुनिक व्यापार माध्यमों और ई-कॉमर्स में भी वृद्धि दर्ज की गई है। दूसरी ओर किराना स्टोर जैसे पारंपरिक व्यापार माध्यमों की बिक्री सपाट रही।
FMCG उद्योग में ग्रामीण बाजार की लगभग 35 फीसदी हिस्सेदारी है और इनमें तीसरी तिमाही के दौरान सुस्ती बनी रही। हालांकि, कंपनियों ने कहा कि वे अच्छी कृषि पैदावार, उच्च कृषि आय और सरकारी प्रोत्साहन जारी रहने के कारण सुधार के संकेत देख रही हैं।
घरेलू कंपनी डाबर ने कहा कि मुद्रास्फीति के दबाव का प्रभाव ग्रामीण बाजारों में अधिक स्पष्ट था। डाबर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘हम मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में गिरावट का असर कम हो गया है। अब हम मांग में सुधार के कुछ संकेत देख रहे हैं।’
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मैरिको लिमिटेड ने कहा कि फसल बुवाई उत्साहजनक रहने से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद है। मैरिको के प्रबंध निदेशक और सीईओ सौगत गुप्ता ने कहा, ‘चूंकि परिचालन माहौल अनुकूल होने की उम्मीद है, इसलिए हम अपने ब्रांडों में लगातार निवेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’
इमामी के अनुसार तीसरी तिमाही के दौरान FMCG क्षेत्र की मांग सुस्त रही। कंपनी ने मार्केटिंग पर 153 करोड़ रुपये खर्च किए।