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SIMPL ऐप पर ED की बड़ी कार्रवाई: FDI में गड़बड़ी का आरोप, ₹913 करोड़ के हेरफेर का पूरा मामला

ED का कहना है कि कंपनी ने 913.7 करोड़ रुपये के निवेश में अनियमितता की, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के नियमों के खिलाफ है।

Last Updated- July 23, 2025 | 7:22 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को वन सिग्मा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (SIMPL) और इसके निदेशक नित्या नंद शर्मा के खिलाफ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नियमों के कथित उल्लंघन के लिए शिकायत दर्ज की है। ED का कहना है कि कंपनी ने 913.7 करोड़ रुपये के निवेश में अनियमितता की, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के नियमों के खिलाफ है।

ED ने यह कार्रवाई विश्वसनीय जानकारी के आधार पर शुरू की, जिसमें पता चला कि वन सिग्मा टेक्नोलॉजीज ने अमेरिका से भारी मात्रा में FDI हासिल किया, लेकिन यह मौजूदा FDI नीतियों का उल्लंघन करता है। जांच में सामने आया कि कंपनी अपने बिजनेस को SIMPL नाम के मोबाइल ऐप के जरिए चलाती है, जो ग्राहकों को ‘बाय नाउ, पे लेटर’ यानी अभी खरीदो और बाद में किस्तों में भुगतान करो, जैसी सुविधा देता है।

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क्या है पूरा मामला?

ED की जांच में पाया गया कि वन सिग्मा टेक्नोलॉजीज ने 648.87 करोड़ रुपये का FDI हासिल किया और 264.88 करोड़ रुपये के कन्वर्टिबल नोट्स जारी किए। कंपनी ने यह निवेश 100 फीसदी ऑटोमेटिक रूट के तहत लिया और अपने बिजनेस को ‘सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य कंप्यूटर सेवा गतिविधियों का लाभ’ बताया। लेकिन जांच में यह साफ हुआ कि कंपनी का बिजनेस मॉडल और उसकी कमाई वित्तीय गतिविधियों से जुड़ी है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 20 अक्टूबर, 2016 के सर्कुलर (A.P. DIR Series Number 8) के मुताबिक, ऐसी वित्तीय गतिविधियों के लिए, जो किसी नियामक प्राधिकरण के तहत नहीं आतीं, FDI 100 फीसदी अप्रूवल रूट के जरिए ही लिया जा सकता है। इसके अलावा, अगर किसी स्टार्टअप को FDI के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत है, तो कन्वर्टिबल नोट्स जारी करने के लिए भी भारत सरकार की मंजूरी लेनी होती है।

ED का कहना है कि वन सिग्मा टेक्नोलॉजीज ने बिना सरकारी मंजूरी के कन्वर्टिबल नोट्स जारी किए और ऑटोमेटिक रूट के तहत FDI लिया, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। ED ने अपनी जांच में कंपनी के बिजनेस और रेवेन्यू मॉडल की गहन पड़ताल की और पाया कि SIMPL ऐप के जरिए दी जाने वाली सेवाएं वित्तीय गतिविधियों के दायरे में आती हैं। इस मामले में कंपनी और इसके निदेशक के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है।

First Published - July 23, 2025 | 7:22 PM IST

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