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ई-कॉमर्स ग्राहकों का बढ़े संरक्षण

Last Updated- December 13, 2022 | 10:48 AM IST
Mckinsey Report

भारत ने ई-कॉमर्स में ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की भूमिका को लेकर इसके सदस्य देशों से राय मांगी है। साथ ही इस मसले पर विभिन्न देशों की प्रवर्तन एजेंसियों के बीच नियामकीय सहयोग बढ़ाए जाने को लेकर भी भारत ने राय मांगी है। डब्ल्यूटीओ के दस्तावेज के मुताबिक इसमें ई-कॉमर्स पर अन्य देशों के अनुभवों के बारे में जानने की भी इच्छा जताई है।

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स पर डब्ल्यूटीओ की कार्ययोजना में कहा गया है कि जिन वस्तुओं और सेवाओं की डिलिवरी या बिक्री, उत्पादन, वितरण, विपणन में इलेक्ट्रॉनिक साधनों का इस्तेमाल होता है, उसे ई-कॉमर्स कहा जाता है।

भारत ने कहा है, ‘खासकर विकासशील और कम विकसित देशों के उपभोक्ताओं को आर्थिक हिसाब से, शिक्षा के स्तर पर और मोलभाव की शक्ति के मामले में असंतुलन का सामना करना पड़ता है, जहां विक्रेता प्रायः बेहतर जानकारी रखते हैं और ग्राहकों की तुलना में मजबूत स्थिति में होते हैं। इस तरह से उन जगहों पर ग्राहकों का संरक्षण सुनिश्चित करना जरूरी है, जहां ग्राहकों व आपूर्तिकर्ताओं के संबंधों में भेदभाव पाया जाता है। इसमें मोलभाव की ताकत, ज्ञान और संसाधन शामिल है।’

इसमें कहा गया है, ‘इसे देखते हुए प्रस्तुति में ई-कॉमर्स में उपभोक्ताओं के संरक्षण से जुड़े प्रमुख मसलों का उल्लेख किया गया है, जिन पर सदस्य देशों की उचित प्रतिक्रिया और आपस में चर्चा आवश्यक है।’

भारत का कहना है कि ई-कॉमर्स से ग्राहकों को कई तरह का लाभ हो रहा है। ई-कॉमर्स से ग्राहकों को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर वस्तुओं और सेवाओं के व्यापक विकल्प मिल रहे हैं। इससे घर बैठे लेन देन आसान हुआ है और भुगतान के सुरक्षित विकल्प हैं। वहीं भारत का यह भी मानना है कि इससे ग्राहकों के सामने कुछ नई चुनौतियां आई हैं, जिसमे भ्रामक विज्ञापन, ऑनलाइन भुगतान की सुरक्षा, अनुचित शर्तें, डेटा संरक्षण सहित अन्य मसले शामिल हैं।

भारत ने कहा, ‘ऑनलाइन में ज्यादा जटिलता और इससे जुड़े जोखिमों ने ग्राहकों के सामने नई और बड़ी चुनौतियां पेश की हैं। सभी देशों को मिल-जुलकर इसका समाधान करने की जरूरत है, जिससे सीमा पार ई-कॉमर्स में तेज बढ़ोतरी हो सके।’

सार्वजनिक पोर्टल ईकंज्यूमर डॉट जीओवी के मुताबिक 2021 में अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी के 36,770 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 84 प्रतिशत को 22.74 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है।

इस दस्तावेज में ई-कॉमर्स में ग्राहकों की सुरक्षा से जुड़े मसले और उसकी चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें पूर्व खरीद, खरीद और खरीद के बाद की स्थिति की समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा पूरी दुनिया में उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े अलग अलग मानकों के बीच अंतर का भी उल्लेख किया गया है। उदाहरण के लिए अंकटाड ग्लोबल साइबरलॉ ट्रैकर डेटा के मुताबिक ज्यादातर देशों में साइबर अपराध और निजता नियम है, वहीं कुछ देशों खासकर विकसित और बदलाव वाली अर्थव्यवस्थाओं खासकर एशिया और अफ्रीका में ऑनलाइन ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर कानून का अभाव है।

डब्ल्यूटीओ के जून में हुए 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में चल रही कार्ययोजना को तेज करने का फैसला किया गया था। भारत ने कहा है कि इसमें ग्राहकों के हितों की रक्षा प्रमुख है, इसलिए इस विषय पर चर्चा से आगे की राह निकल सकती है।

First Published - December 13, 2022 | 9:17 AM IST

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