जापान की भारतीय इकाई सोनी और ज़ी एंटरटेनमेंट के बीच विलय से 10 अरब डॉलर के टीवी व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने (सीसीआई) आंतरिक समीक्षा में पाया है कि इस विलय की वजह से ‘सौदेबाजी की क्षमता’ प्रभावित होने का अनुमान है।
आयोग ने दो कंपनियों को 3 अगस्त की भेजी सूचना में कहा कि नियामक का मानना है कि इस मामले में और जांच की जरूरत है।
सोनी और ज़ी एंटरटेनमेंट ने दिसंबर में अपने टेलीविजन चैनलों, फिल्म ऐसेट्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों के विलय का निर्णय लिया था। इस विलय का मकसद 1.4 अरब लोगों के मीडिया एवं एंटरटेनमेंट बाजार में अपनी खास पहचान बनाना और वाल्ट डिज्नी कंपनी जैसे प्रतिस्पर्धियों को चुनौती देना है।
इस प्रक्रिया से जुड़े तीन भारतीय वकीलों का कहना है कि सीसीआई के कदम से इस सौदे के लिए नियामकीय मंजूरी में विलंब होगा और इससे कंपनियों को अपने ढांचों में बदलाव के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। इन वकीलों का कहना है कि यदि कंपनियां सीसीआई को संतुष्ट करने में विफल रहती हैं तो इससे मंजूरी और जांच प्रक्रिया लंबी हो
सकती है।
ज़ी ने अपने बयान में कहा है कि वह प्रस्तावित विलय के लिए सभी जरूरी मंजूरी प्रक्रियाएं पूरी
करने के लिए निर्धारित कानूनों पर अमल करेगी।
सीसीआई और भारत में सोनी ने इस मामले में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जापान में
सोनी के प्रतिनिधियों से भी इस बारे में प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है।