नामचीन सरकारी कंपनी एनर्जी एफिशंसी सर्विसज लिमिटेड (EESL) सभी ऊर्जा दक्षता सोल्यूशंस, उत्पादों और इस कंपनी की सभी सरकारी योजनाओं के लिए वन स्टॉप मार्केट प्लेस मुहैया करवाएगी। ऊर्जा दक्षता सॉल्यूशंस मुहैया कराने वाली कंपनी ईईएसएल के मुख्य कार्याधिकारी विशाल कपूर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को ‘एमेजॉन मीट्स अर्बन कंपनी’ के मॉडल के बारे जानकारी दी। इस मार्केट प्लेस में उत्पादों और सेवाओं के लिए मानकीकृत समझौते किए जाएंगे और इससे ऊर्जा दक्षता का मार्केट बढ़ेगा।
यह अपनी तरह का अलग मार्केटप्लेस होगा। इसमें पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा और बड़ी परियोजनाओं को त्वरित ढंग से मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने बताया, ‘उत्पादों के लिए एमेजॉन, इंडिया मार्ट से गठजोड़ किया जाएगा और सेवा के लिए अर्बन कंपनी के मॉडल की सेवाएं ली जाएंगी। इसके तहत एक पोर्टल पर सभी को सम्मिलित किया जाएगा। अभी हम जिन मानकीकृत समझौतों का उपयोग कर रहे हैं, उसी के अंतर्गत उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।’ उन्होंने यह जानकारी इस महीने गोवा में आयोजित स्वच्छ ऊर्जा पर मंत्रिस्तरीय बैठक के इतर दी थी।
उन्होंने बताया कि अगले तीन महीने में बेसिक मार्केट प्लेस तैयार होगा। कपूर ने कहा, ‘हम इसे विकसित करना जारी रखेंगे। हमारा लक्ष्य यह है कि परियोजनाओं की डिलीवरी भी डिजिटल रूप से होगी। इकाई और परियोजना दोनों का मूल्यांकन भी डिजीटल रूप से होगा।’
इकाई के मूल्यांकन में जीएसटी का प्रदर्शन, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस आधारित इंटीग्रेशन, इकाई का स्वमूल्यांकन होगा और इन सभी का समन्वय पोर्टल पर किया जाएगा। मार्केटप्लेस आंकड़ों का स्वचालित तरीके से प्रोसेसिंग करेगा और इसमें सिस्टम, एप्लीकेशन और उत्पादों (एसएपी) को समन्वित किया जाएगा। इसमें विक्रेता के भुगतान, वित्त और आपूर्ति श्रृंखला में शामिल सभी उत्पाद या सेवाएं को शामिल किया जाएगा।
ईईएसएल सबसे बड़े ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम जैसे उन्नत ज्योति, कई राज्यों में जारी स्ट्रीट लाइटिंग नैशनल प्रोग्राम, स्मार्ट मीटर और सार्वजनिक यातायात में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (ई-बस) आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों को जारी रखने की लागत बहुत ज्यादा है। इस लागत को ऊर्जा दक्षता के मार्केट प्लेस की मदद से घटाया जा सकता है। यह केवल उत्पादों को बेचने तक सीमित नहीं होगा बल्कि इसमें सेवाएं भी मुहैया करवाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि यदि ज्यादातर ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों का मानकीकरण हो जाता है तो इसके लिए ग्रीन फाइनैंस चैनल की स्थापना भी की जा सकती है।