शिक्षा प्रौद्योगिकी (एडटेक) फर्म बैजूस को अमेरिकी अदालत से भी बड़ी राहत मिली है। अमेरिका की डेलावेयर अदालत ने ग्लास ट्रस्ट कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने भारत की एडटेक फर्म के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। बैजूस भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को रकम चुका रही थी, जिसे रोकने के लिए अमेरिकी ऋणदाता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
बैजूस ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी अदालत के आदेश से बीसीसीआई और बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएलपीएल) के बीच हुए समझौते की वैधता साबित होती है। उससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने भी इसे अपनी मंजूरी दी थी।
डेलावेयर के ऋणशोधन अक्षमता न्यायालय के न्यायाधीश ब्रेंडन शैनन ने ग्लास की इस याचिका को खारिज करते समय दूसरे देश की न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप की मांग पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘मुझे इसकी काफी चिंता है कि मुझसे ऐसे मामले में राहत मांगी जा रही है, जिससे किसी अन्य देश की कार्यवाही रुक जाएगी।’
बैजूस ने कहा कि यह बयान कंपनी के वकील के दावे के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों में हस्तक्षेप से भारत की न्यायपालिका का अपमान होगा।
अदालत के आदेश से स्पष्ट हो गया कि समझौता रुकवाने के लिए बीसीसीआई पर उसका कोई अधिकार नहीं है और माना गया कि ग्लास की याचिका स्वीकार कर उसे राहत देना एक असाधारण और गलत कदम होगा।
बैजूस ने कहा कि इससे भारत की एनसीएलएटी के खिलाफ ग्लास का प्रयास विफल रहा और बैजूस का रुख सही साबित हुआ और भारत की न्यायपालिका की अखंडता भी सुनिश्चित हुई।