सरकार द्वारा तेल खोज का दायरा बढ़ाने और पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस संबंधित व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान बनाने से पेट्रोलियम से गैर-कर राजस्व के 37.3 प्रतिशत के ऊंचे अनुमान को मदद मिली है।
बजट में पेट्रोलियम मद के तहत वित्त वर्ष 2024 में 24,185 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व संग्रह अनुमान जताया गया। यह वित्त वर्ष 2023 के 17,620 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से सालाना 37.3 प्रतिशत तक और वित्त वर्ष 2022 के 20,036 करोड़ रुपये के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है।
अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में ज्यादा पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस शुल्क हासिल होने का अनुमान लगाया है।
अधिकारियों का कहना है कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने भी इन अनुमानों से वित्त मंत्रालय को अवगत कराया है। सरकार ने तेल एवं गैस खोज के अधिकार के लिए लाइसेंस शुल्क से प्राप्तियों के साथ साथ ऑफ-शोर कच्चे तेल एवं गैस उत्पादन पर रॉयल्टी को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट किया है।
इस बीच, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि तेल उत्पादन से हासिल होने वाली रॉयल्टी की दर में बदलाव आया है। इसकी गणना कच्चे तेल की बिक्री कीमत के 20 प्रतिशत पर की गई है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 तक 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अन्वेषण के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों का कहना है कि एमओपीएनजी ने ऐसे प्रयासों को प्राथमिकता दी है जिनसे अन्वेषण के तहत मौजूदा क्षेत्र को तेजी से बढ़ाया जा सके। यह क्षेत्र पिछले पांच साल के दौरान 2022 तक दोगुना होकर 207,692 वर्ग किलोमीटर हो गया।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत अपनी तेल जरूरत का 85 प्रतिशत हिस्सा और प्राकृतिक गैस जरूरत का 50 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा करता है, क्योंकि घरेलू उत्पादन अपर्याप्त है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘हम एक्सनमोबिल, शेल और बीपी जैसी वैश्विक कंपनियों से निवेश आकर्षित करने पर ध्यान दे रहे हैं। यदि ऐसी कोई बड़ी कंपनी भारतीय अन्वेषण क्षेत्र में अपना ध्यान बढ़ाती है तो अन्वेषण के दायरे वाला क्षेत्र तेजी से बढ़ेगा। इसकी वजह से लाइसेंस शुल्कों में भी बड़ी तेजी आएगी।’
सरकार कंपनियों के लिए तेल एवं गैस अन्वेषण व्यवसाय आसान बनाने की दिशा में भी लगातार कार्य कर रही है और इस प्रयास में वैश्विक मान्यताप्राप्त तथा स्वीकार्य विवाद समाधान प्रणालियों जैसे उपायों पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार जरूरी लाइसेंस की संख्या घटाने पर भी ध्यान दे रही है। तेल एवं गैस ब्लॉकों के अनुबंधकों और परिचालकों को अन्वेषण एवं उत्पादन गतिविधियां शुरू करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के प्राधिकरणों से मंजूरियां हासिल करनी चाहिए।
इनमें पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस, पेट्रोलियम खनन पट्टा, पर्यावरण आधारित मंजूरियां (वन एवं वन्यजीव संबंधित) मुख्य रूप से शामिल हैं।