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बाजार में छाई मंदी से टायर निर्यात की निकल गई हवा

Last Updated- December 07, 2022 | 2:40 PM IST

वाहन क्षेत्र में वैश्विक मंदी का असर घरेलू टायर निर्माता कंपनियों पर भी स्पष्ट दिख रहा है। यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में वाहन उद्योग में मंदी से कुछ घरेलू टायर निर्माताओं की निर्यात भागीदारी में कमी आई है।


देश की टायर कंपनियों की प्रमुख संस्था ऑटोमोटिव टायर मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के मुताबिक एटीएमए के सदस्यों का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 2,082 करोड़ रुपये दर्ज किया गया जो पूर्व में निर्धारित किए गए लक्ष्य 3000 करोड़ रुपये से काफी कम है।

पिछले साल इस निर्यात में पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में मामूली इजाफा ही हुआ। पूर्ववर्ती वर्ष में उद्योग का निर्यात 2,034 करोड़ रुपये का था। बालकृष्णा टायर्स को छोड़ कर सिएट, जेके टायर्स, अपोलो, एमआरएफ और ब्रिजस्टोन जैसी दिग्गज घरेलू टायर निर्माता कंपनियां एटीएमए के सदस्यों में शामिल हैं।

वैश्विक बाजारों में नुकसान ने सिएट, जेके टायर्स, एमआरएफ जैसी कंपनियों को घरेलू टायर बाजार पर ध्यान केंद्रित करने को बाध्य कर दिया है। इस उद्योग के एक जानकार के मुताबिक वैश्विक मंदी के अलावा विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव, चीन के सस्ते टायरों की अधिकता और कच्चे पदार्थों पर बढ़ते खर्च जैसे कारकों के कारण पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान निर्यात में कमी देखी गई। सिएट टायर्स के उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन) अर्णब बनर्जी ने कहा, ‘इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में हमें बढ़त हासिल होने की उम्मीद है।

हालांकि यदि निर्यात के जटिल परिदृश्य में कोई बदलाव नहीं आता है तो हम अपने उत्पादन को घरेलू बाजार की तरफ केंद्रित करेंगे।’ अधिकांश टायर निर्माता कंपनियों का पहली तिमाही का परिणाम निराशाजनक रहा है। बढ़ रही रबर की कीमतों से मार्जिन पर दबाव पड़ा है। उदाहरण के लिए, सबसे बड़ी टायर निर्यातक सिएट ने जहां एक साल पहले इसी अवधि में 30.35 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था वहीं इस साल की समान अवधि में इसने 10.66 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है।

देश की सबसे बड़ी टायर निर्माता कंपनी एमआरएफ ने 25 फीसदी की गिरावट के साथ 31.86 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है जो पूर्ववर्ती साल की समान अवधि में 42.50 करोड़ रुपये था। जेके टायर्स और अपोलो टायर्स का इस तिमाही के लिए शुद्ध मुनाफा लगभग समान रहा है। एटीएमए के महानिदेशक राजीव बुधाराजा कहते हैं, ‘अमेरिकी बाजार मंदी के दौर से गुजरा है और इसलिए प्रमुख वैश्विक बाजारों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा है। साल का निर्यात परिदृश्य एक जैसा देखा गया है।’

त्रिची में पेरम्बुलूर में 900 करोड़ रुपये की लागत से रेडियल टायर संयंत्र की स्थापना कर रही एमआरएफ ने भी अगले वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में इसके शुरू हो जाने के बाद वहां से निर्यात शुरू करने की संभावना तलाशने की योजना बनाई है। वैसे कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि मंदी के कारण वह संयंत्र के कामकाज शुरू करने की तारीख को आगे बढ़ा सकती है। इसके अलावा स्थानीय रबर की कीमतों में भी इजाफा कंपनियों के मुनाफे पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।

हाल ही में रबर की कीमतें 140 रुपये प्रति किलोग्राम से भी अधिक हो गई थीं जो पिछले साल औसतन 100 रुपये प्रति किलोग्राम से कम थीं। इसी तरह कार्बन ब्लैक, फैब्रिक्स, केमिकल जैसे अन्य प्रमुख पदार्थों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। इस संकट से उबरने के लिए टायर निर्माता कंपनियां एक बार फिर से टायरों की कीमत बढ़ाने की संभावना तलाश रही हैं। यदि टायरों की कीमतों में बढ़ोतरी की जाती है तो यह इस वित्तीय वर्ष में टायरों की कीमतों में तीसरी बढ़ोतरी होगी।

First Published - July 31, 2008 | 11:09 PM IST

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