सचिवों की समिति ने सिफारिश की है कि राजस्थान से कच्चे तेल की डिलीवरी प्वाइंट को वहां से हटाकर गुजरात ले जाया जाए। दरअसल कंपनी 60 करोड़ डॉलर की गर्म पाइपलाइन परियोजना की रिकवरी के लिए यह कदम उठा रही है।
यह पाइपलाइन संयुक्त तौर पर केयर्न इंडिया और ओएनजीसी द्वारा बिछाई गई है। इसमें केयर्न इंडिया का शेयर 70 फीसदी है जबकि ओएनजीसी का 30 फीसदी है। राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि कच्चे तेल पर केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) राजस्थान में नहीं लगता जबकि गुजरात में इस पर सीएसटी लगता है।
जबकि राजस्थान को इस परियोजना के 2009 में शुरू होने पर कर और रॉयल्टी केजरिए रोजाना 10 लाख डॉलर की आमदनी होने का अनुमान था। 2009 मध्य तक यहां से कच्चे तेल का उत्पादन शुरू करने की योजना थी। आमदनी के लिहाज से यह राज्य का सबसे बड़ा स्रोत हो सकता था।