अमेरिका की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी टेस्ला के भारत आने को लेकर चर्चा तेज हो गई है इस बीच पूंजी बाजार और निवेश समूह सीएलएसए ने कहा कि अमेरिका की कंपनी अगर बैटरी वाला इलेक्ट्रिक वाहन 25,000 डॉलर की कीमत पर बेचती है, तब भी भारत की वाहनों से जुड़ी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) कंपनियों को कोई खतरा नहीं होगा।
फिलहाल अमेरिका में टेस्ला की सबसे सस्ती गाड़ी टेस्ला मॉडल 3 और मॉडल वाई 35,000 डॉलर में उपलब्ध हैं। ऐसे में टेस्ला को इन दोनों मॉडल की बिक्री करने के मकसद से भारत के बाजार में अपनी लागत कम करने के लिए गाड़ी के कुछ फीचर कम करने होंगे या फिर घाटा सहना पड़ेगा।
सीएलएसए का मानना है कि अगर यह मान लिया जाए कि आयात शुल्क में संशोधन के बाद यह 15-20 प्रतिशत के स्तर पर आ जाता है तब भी टेस्ला की कारें, घरेलू कंपनियों टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, मारुति सुजूकी इंडिया और ह्युंडै मोटर इंडिया के 4 मीटर लंबे इलेक्ट्रिक एसयूवी की तुलना में महंगी होंगी।
सीएलएसए का मानना है कि अगर टेस्ला बीईवी को 25,000 डॉलर की कीमत पर पेश करती है तब इसके परंपरागत मॉडल की तुलना में इसके फीचर कम होंगे। सीएलएसए का कहना है कि भारत के ओईएम बेहतर फीचर और प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की पेशकश कर रहे हैं।
इसने यह भी कहा कि यह कुछ ऐसी ही स्थिति होगी जो सवाल हार्ले एक्स440 की बाइक को लेकर भी उठा कि क्या इसे भारतीय उपभोक्ता इसे स्वीकार करेंगे जिसकी कीमत रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 की तुलना में 20 फीसदी अधिक है। हार्ले की बाइक की बिक्री के आंकड़े जहां प्रतिमाह 1500 हैं जबकि रॉयल एनफील्ड की बिक्री 28,000 है।
दिलचस्प बात यह है कि टेस्ला के भारत में प्रवेश की चर्चाओं के साथ ही पिछले दो हफ्ते के दौरान भारत के उन वाहन कंपनियों के शेयर गिरे हैं जिन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन योजनाओं पर जोर दिया है।