जजीरा एयरवेज के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) रोहित रामचंद्रन ने मंगलवार को यहां कहा कि भारतीय नियामकों को द्विपक्षीय अधिकारों के निर्धारण के संदर्भ में कुवैत को अन्य गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों के साथ नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि उसके पास ऐसी बड़ी विमानन कंपनी नहीं है जो लंबे मार्गों पर भारतीय एयरलाइनों से प्रतिस्पर्धा करती हो।
जजीरा एयरवेज कुवैत की निजी क्षेत्र की सस्ती सेवा प्रदान करने वाली एयरलाइन है। वह भारत में आठ शहरों के लिए 30 साप्ताहिक उड़ानें संचालित करती है, लेकिन सीमित यातायात अधिकारों की वजह से उसकी वृद्धि की रफ्तार सुस्त रही है।
भारत और कुवैत ने वर्ष 2007 में हवाई सेवा समझौता संशोधित किया था और दोनों देशों की विमानन कंपनियां हरेक सप्ताह 12,000 सीट इस्तेमाल करने में सक्षम हैं। हालांकि कुवैत में भारतीय आबादी बढ़ने के साथ अब यह सीट क्षमता पर्याप्त नहीं रह गई है। कुवैत सरकार ने अतिरिक्त 38,000 साप्ताहिक सीटों और पांच शहरों में परिचालन के अधिकार मांगे हैं, जिनमें जयपुर, गोवा, मदुरै, अमृतसर और त्रिची मुख्य रूप से शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यात्रियों की संख्या और राजस्व के संदर्भ में भारत हमारा तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। हमारा करीब 15 प्रतिशत राजस्व भारतीय परिचालन से आता है। हम भारत में परिचालन बढ़ाना चाहेंगे, लेकिन दुर्भाग्यवश, वहां अतिरिक्त सीटों के अधिकारों के अभाव में हम अब अन्य बाजारों में अपने विमान तैनात करेंगे।’
एयरलाइन की कमान संभालने वाले रामचंद्रन इस पश्चिम एशियाई एयरलाइन के एकमात्र भारतीय सीईओ हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम एक छोटी एयरलाइन हैं और हमारे करीब 85 प्रतिशत व्यवसाय में पॉइंट-टु-पॉइंट ट्रैफिक शामिल है। हमने लंबी दूरी के मार्गों पर भारतीय एयरलाइनों से प्रतिस्पर्धा करने की कोई योजना नहीं बनाई है।’
पिछले सप्ताह जजीरा एयरवेज ने सऊदी अरब में नई एयरलाइन बनाने की घोषणा की थी। सऊदी अरब उसका सबसे बड़ा वैश्विक बाजार है और विमानन कंपनी नई एयरलाइन के संबंध में जरूरी मंजूरियां हासिल करने की प्रक्रिया से गुजर रही है। उन्होंने कहा, ‘हमने किसी भारतीय एयरलाइन में निवेश करने की योजना नहीं बनाई है।’