सरकार को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से मिलने वाला लाभांश चालू वित्त वर्ष के लिए तय लक्ष्य 56,260 करोड़ रुपये से अधिक रह सकता है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त के दौरान केंद्र को सार्वजनिक उपक्रमों से करीब 65,000 करोड़ रुपये का लाभांश मिल सकता है। इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों और वित्तीय संस्थान से मिलने वाला लाभांश शामिल नहीं है।
21 अक्टूबर तक केंद्र सरकार को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से लाभांश और अन्य निवेश से 28,913 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, जो चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान के 50 फीसदी से अधिक है।
वित्त वर्ष 2024 में 50,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में सरकार को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से 63,749 करोड़ रुपये मिले थे, जो किसी भी वित्त वर्ष में सर्वाधिक लाभांश है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) तथा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के निदेशक मंडल द्वारा कंपनियों का मुनाफा बढ़ाने पर जोर दिए जाने से ये उपक्रम सरकार को अच्छा लाभांश दे रहे हैं। सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में पेशेवर रुख को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है जिससे निश्चित तौर पर यह वृद्धि में योगदान करेगा।’
वित्त वर्ष 2025 में अभी तक तेल एवं गैस कंपनियों से सबसे ज्यादा 9,665.63 करोड़ रुपये का लाभांश मिला है। इसके बाद बिजली, खनन और संचार क्षेत्र से तगड़ा लाभांश मिला है। इंडियन ऑयल ने सरकर को 5,090.54 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है।
इसी तरह हिंदुस्तान जिंक से 3,619.06 करोड़ रुपये, टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया से 3,442.92 करोड़ रुपये और भारत पेट्रोलियम से 2,413.29 करोड़ रुपये का लाभांश मिला है।
अधिकारी ने कहा कि सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लाभांश भुगातन, बोनस जारी करने तथा शेयर पुनर्खरीद के लिए 2016 के दिशानिर्देशों को संशोधित करने पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की बैलेंस शीट में मजबूती और बाजार पूंजीकरण में सुधार को देखते हुए दिशानिर्देश पर नए सिरे विचार करने का यह सही समय है।’
वित्त मंत्रालय ने उपक्रमों में सरकार के निवेश का बेहतर प्रबंधन के लिए मई 2016 में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के पूंजी पुर्गठन पर व्यापक दिशानिर्देश जारी किए थे। दीपम की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार प्रत्येक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम को कम से कम कर बाद मुनाफे का 30 फीसदी या नेटवर्थ का 5 फीसदी लाभांश देना होगा। इसके साथ ही 2,000 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और 1,000 करोड़ रुपये नकद या बैंक जमा वाले हर केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को शेयर पुनर्खरीद करना होगा।