सूचना एवं प्रसारण (आईऐंडबी) मंत्रालय ने बड़ी टेक कंपनियों और डिजिटल न्यूज पब्लिशरों के बीच राजस्व विभाजन से संबंधित समस्याओं पर चर्चा के लिए विभिन्न विभागों के साथ बुधवार को अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की।
आईऐंडबी सचिव संजय जाजू की अध्यक्षता वाली इस बैठक में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) समेत कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित किया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने अभी मुद्दे को समझने और यह जानने के लिए प्रारंभिक चर्चा की है कि ये मामले किसके अधिकार क्षेत्र में आएंगे।’ सूत्रों का कहना है कि विज्ञापन राजस्व विभाजन समझौतों में बड़ी टेक कंपनियों के दबदबे के संबंध में डिजिटल न्यूज पब्लिशरों द्वारा सरकार से संपर्क किया गया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में यह चर्चा एमसीए द्वारा प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के मसौदे की पृष्ठभूमि में हुई है। इस विधेयक का मसौदा एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर तैयार किया गया था, जिसका गठन बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए पूर्व-नियमन की आवश्यकता पर विचार करने के लिए किया गया था।
पूर्व-निर्धारित नियमों का समर्थन करते हुए डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) ने कहा था कि बड़े डिजिटल उद्यम गैर-पारदर्शी डेटा शेयरिंग एवं राजस्व विभाजन नीतियों, सर्च एवं रैंकिंग प्रिफरेंसिंग, अपने स्वयं के उत्पादों के लिए उपयोगकर्ता के आंकड़े जुटाने जैसी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं।
डीएनपीए ने कहा था, ‘सीसीआई के पास न्यूज पब्लिशरों के साथ राजस्व विभाजन समझौते किए जाते वक्त बड़े डिजिटल उद्यमों के दबदबे को रोकने का अधिकार होना चाहिए।’ हालांकि सूत्रों का कहना है कि न्यूज पब्लिशरों और टेक कंपनियों के बीच गैर जरूरी प्रतिस्पर्धी मुद्दों के लिए एक अलग फ्रेमवर्क की जरूरत हो सकती है।
इसके अलावा, उद्योग संघों द्वारा प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक पर गंभीर चिंता जताने के कई ज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए, एमईआईटीवाई ने भी इस मामले पर चर्चा करने के लिए एमसीए और विभिन्न उद्योग संगठनों के साथ बैठक बुलाई है। यह बैठक गुरुवार को होने की उम्मीद है। प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के नुकसान पर कई उद्योग प्रतिनिधियों ने चिंता जताई है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, गूगल, एमेजॉन और ऐपल जैसी टेक कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अमेरिकी लॉबी ग्रुप ने भारत से अपने प्रस्तावित ईयू जैसे डिजिटल प्रतिस्पर्धी नियम पर पुनर्विचार करने को कहा है। उसका मानना है कि डेटा उपयोग के विरुद्ध विनियमन और साझेदारों को तरजीह दिए जाने से उपयोगकर्ता की लागत बढ़ सकती है।
प्रस्तावित विधेयक में डिजिटल कंपनियों को सीसीआई को यह सूचित करना होगा कि वे विधेयक में निर्धारित मानदंडों के आधार पर प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यम (एसएसडीई) के रूप में पात्रता प्राप्त करने के मानदंडों को पूरा करती हैं।
मसौदा विधेयक के अनुसार ऐसे उद्यमियों को एक पारदर्शी और प्रभावी शिकायत निवारण और अनुपालन तंत्र स्थापित करना होगा और उपयोगकर्ताओं तथा व्यवसाय उपयोगकर्ताओं के साथ गैर-भेदभाव और पारदर्शी तरीके से संचालन करना होगा। एसएसडीई अपने स्वयं के उत्पादों, सेवाओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन नहीं कर सकते।