नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने आज विमानन कंपनियों से कहा कि विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उड़ानों में अनियंत्रित यात्रियों से जुड़े मामलों को संभालने के वास्ते उन्हें संवेदनशील होना चाहिए और अपने पायलटों, केबिन क्रू के सदस्यों तथा अधिकारियों को प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) देना चाहिए।
पिछले कई सप्ताह के दौरान ऐसे यात्रियों से जुड़ी कई घटनाएं हुई हैं। सोमवार को 25 वर्षीय एक व्यक्ति ने एयर इंडिया की दिल्ली से लंदन जाने वाली उड़ान में केबिन क्रू के दो सदस्यों को शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई। पिछले शनिवार को नशे में धुत एक व्यक्ति ने इंडिगो की दिल्ली-बेंगलूरु उड़ान के दौरान आपातकालीन द्वार खोलने का प्रयास किया।
20 मार्च को नशे में धुत एक स्वीडिश यात्री ने इंडिगो की बैंकॉक-मुंबई उड़ान में केबिन क्रू सदस्य से छेड़छाड़ की। 11 मार्च को एयर इंडिया की लंदन-मुंबई उड़ान में एक अमेरिकी नागरिक को शौचालय में धूम्रपान करते हुए पाया गया था।
DGCA ने सोमवार को अपने दिशानिर्देश में कहा कि पायलट, केबिन क्रू के सदस्य और पदाधिकारी (विमानन कंपनियों के अधिकारी) हाल के दिनों में ऐसे मामलों के दौरान ‘उचित’ कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि सभी विमानन कंपनियों के परिचालन प्रमुखों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पायलटों, केबिन क्रू और अधिकारियों को उचित तरीके से उपद्रवी यात्रियों से निपटने के लिए संवेदनशील बनाएं, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल हैं, लेकिन यह केवल इसी तक सीमित नहीं है।
संवेदनशील बनाने का उद्देश्य विमान में प्रभावी निगरानी, अच्छी व्यवस्था और अनुशासन सुनिश्चित करना है ताकि विमान परिचालन की सुरक्षा किसी भी तरह से खतरे में न पड़े।
नियामक ने कहा कि हाल के दिनों में उसने विमान में धूम्रपान करने, नशे में धुत लोगों के अनियंत्रित व्यवहार करने, यात्रियों के बीच विवाद और विमान में यात्रियों द्वारा यौन उत्पीड़न की कुछ घटनाओं पर ध्यान दिया है, जिनमें पदाधिकारी, पायलट और केबिन क्रू सदस्य उचित कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।