नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने उड़ानें दोबारा शुरू करने की गो फर्स्ट (Go First) की योजना को आज मंजूरी दे दी। मगर उड़ानें बहाल होना अदालत में चल रहे मुकदमों के फैसले और बीच में रकम मिलने पर निर्भर करेगा।
अगर गो फर्स्ट की उड़ानें फिर शुरू हो जाती हैं तो 2004 में मोदीलुफ्त (अब स्पाइसजेट) के बाद यह पहला मौका होगा, जब कोई दिवालिया विमानन कंपनी दोबारा वाणिज्यिक उड़ानें शुरू करेगी।
नियामक ने एक बयान में कहा, ‘गो फर्स्ट की 15 विमानों के जरिये 114 दैनिक उड़ानों की 28 जून, 2023 की जिस योजना में 15 जुलाई, 2023 को पेश पत्र के जरिये संशोधन किया गया था, उसे समीक्षा के बाद डीजीसीए ने स्वाकार कर लिया है।’
गो फर्स्ट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) में दिवालिया आवेदन दायर करने के बाद 3 मई से अपनी उड़ानें रोक दी थीं। कंपनी ने नकदी की किल्लत के लिए इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी को सीधे दोषी ठहराया था। उसने था कि अमेरिकी कंपनी ने इंजन देने में देर की, जिसके कारण उसके 54 विमानों में से लगभग आधे उड़ान नहीं भर पा रहे हैं।
विमानन कंपनी की अर्जी 10 मई को दिवालिया प्रक्रिया के तहत स्वीकार कर ली गई थी। लेनदारों की समिति (सीओसी) ने उड़ानें दोबारा शुरू करने के लिए 400 करोड़ रुपये की अंतरिम वित्तीय सहायता देने की गो फर्स्ट की अर्जी सैद्धांतिक रूप से मान ली थी। उसके बाद 28 जून को विमानन कंपनी के समाधान पेशेवर (आरपी) शैलेंद्र अजमेरा ने डीजीसीए के सामने परिचालन दोबारा शुरू करने की योजना पेश की।
योजना में समाधान पेशेवर ने कहा है कि विमानन कंपनी अपने बेड़े में 26 सक्रिय विमानों से रोजाना करीब 160 उड़ानों का संचालन कर सकती है। मुंबई और दिल्ली में गो फर्स्ट के परिसरों का 4 से 6 जुलाई के बीच विशेष निरीक्षण किया गया था।
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विमानन नियामक के मुताबिक यह पक्का किया गया है कि विशेष जांच में मिले तथ्यों पर गो फर्स्ट पूरी तरह ध्यान दे। निरीक्षण के दौरान नियामक ने कहा कि पायलट एवं अन्य कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है। उसके बाद योजना में संशोधन किया गया और रोजाना 15 विमानों के साथ 114 उड़ानों के लिए मंजूरी दे दी गई।
DGCA ने कहा कि उसकी मंजूरी एनसीएलटी के दिल्ली पीठ में चल रही कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया एवं अन्य याचिकाओं के नतीजों पर निर्भर करेगी। दिल्ली उच्च न्यायालय और एनसीएलटी के दिल्ली पीठ में पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों द्वारा दायर मुकदमे अभी लंबित हैं।
विमानन नियामक ने समाधान पेशेवर से उड़ान के लायक विमानों, पायलटों, चालक दल के सदस्यों, विमान रखरखाव इंजीनियरों, फ्लाइट डिस्पैचर आदि उपलब्ध संसाधनों के लिहाज से उपयुक्त उड़ान योजना पेश करने के लिए कहा है।
विमानन एनालिटिक्स फर्म सीरियम के अनुसार इस साल अप्रैल में गो फर्स्ट रोजाना करीब 195 उड़ानों चला रही थी। पिछले सात साल में दो प्रमुख विमानन कंपनियां- किंगफिशर एयरलाइंस और जेट एयरवेज- दिवालिया प्रक्रिया से गुजरी हैं।