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Defence sector: डिफेंस सेक्टर में गिरावट के बीच निवेश का सुनहरा मौका! BEL और डेटा पैटर्न्स पर ब्रोकरेज बुलिश

हाल ही में डिफेंस सेक्टर के शेयरों में आई गिरावट को विश्लेषकों ने निवेश के लिए एक बेहतरीन मौका बताया है।

Last Updated- December 24, 2024 | 3:42 PM IST
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दुनिया में मौजूदा हालात किसी बड़े शतरंज के खेल की तरह दिखते हैं, जहां हर देश अपनी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य ताकत को बढ़ाने की रणनीति बना रहा है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि हाल के समय में वैश्विक अशांति काफी बढ़ी है। यूरोप में संघर्ष, पश्चिम एशिया में युद्ध और पूर्वी एशिया में राजनीतिक संकट इसका प्रमाण हैं।

इन चुनौतियों के बीच भारत अपने डिफेंस सेक्टर को मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगले पांच वर्षों में भारत का रक्षा बजट 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसका उद्देश्य देश की सुरक्षा और शांति को सुनिश्चित करना है।

नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, 2025 तक भारत का डिफेंस सेक्टर निवेश के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। उनकी रिपोर्ट में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और डेटा पैटर्न्स (इंडिया) को निवेश के लिए सबसे अच्छे विकल्प बताया गया है।

नुवामा के विशेषज्ञ सुभदीप मित्रा और विजय भसीन ने एक नोट में कहा, “हम भारत के डिफेंस सेक्टर को लेकर आशावादी हैं। लोकल लेवल पर प्रोडक्शन बढ़ाने, विदेशी सप्लाई चेन पर निर्भरता कम करने और रक्षा तकनीक को आधुनिक बनाने की कोशिशें इस क्षेत्र को मजबूत बना रही हैं। BEL और डेटा पैटर्न्स हमारे सबसे पसंदीदा विकल्प हैं।”

शेयर बाजार में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और डेटा पैटर्न्स ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए हैं। साल 2024 की शुरुआत से अब तक BEL के शेयर 59% तक बढ़े हैं, जबकि डेटा पैटर्न्स ने 35% की बढ़त दर्ज की है। इसके मुकाबले, BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी ने केवल 8% और 9% की ग्रोथ हासिल की है।

क्यों नुवामा 2025 में भारत के डिफेंस सेक्टर पर बड़ा दांव लगा रहा है?

नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने वैश्विक भू-राजनीति की शतरंज के खेल से तुलना करते हुए कहा कि हर देश को अपने कदम सीमित संसाधनों और अनिश्चित परिस्थितियों में सोच-समझकर उठाने पड़ते हैं। इस माहौल में भारत लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है और आत्मनिर्भर डिफेंस इकोसिस्टम बना रहा है।

पिछले तीन दशकों में भारत का रक्षा बजट औसतन 8% की दर से बढ़ा है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। आने वाले पांच सालों में डिफेंस सेक्टर में $130 बिलियन (करीब ₹10.8 लाख करोड़) के अवसर बनने की संभावना है।

विश्लेषकों का मानना है कि भारत सरकार की रणनीतिक पहलों के चलते देश अब केवल सब-सिस्टम और कंपोनेंट सप्लायर नहीं, बल्कि टर्नकी डिफेंस सॉल्यूशंस का ग्लोबल प्रोवाइडर बनने की ओर अग्रसर है।

विदेशी साझेदारों पर निर्भरता बनी चुनौती

हालांकि, भारत की विदेशी रक्षा भागीदारों पर निर्भरता अब भी बड़ी है। पिछले दशक में देश के 50% से अधिक रक्षा आयात रूस से आए हैं, उसके बाद फ्रांस, इजरायल और दक्षिण कोरिया का स्थान है।

यूरोप, पश्चिम एशिया और पूर्वी एशिया में भू-राजनीतिक तनाव से ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनौती भारत में डिफेंस प्रोडक्शन के लोकलाइजेशन को तेजी से बढ़ावा दे रही है। इससे प्राइवेट सेक्टर को डिफेंस प्रोडक्शन में बड़ी भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है।

2025 में बड़े ऑर्डर्स और नए मौके

नुवामा के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही (H2FY25) में भारत के रक्षा उद्योग के लिए बड़े ऑर्डर्स का दौर शुरू हो सकता है। QRSAM, P-75I, LCA Mark 1A, और पिनाका जैसे प्रमुख प्रोग्राम को ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। इस ग्रोथ का फोकस मुख्य रूप से वायुसेना और नौसेना पर रहेगा।

बांग्लादेश, सीरिया, कोरिया, रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया में राजनीतिक अस्थिरता से सप्लाई चेन पर असर पड़ रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की वापसी से भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को मजबूती मिल सकती है, जो भारत के लिए रणनीतिक लाभ साबित होगा।

हाल ही में डिफेंस सेक्टर के शेयरों में आई गिरावट को विश्लेषकों ने निवेश के लिए एक बेहतरीन मौका बताया है। उनका कहना है कि डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स इस सेक्टर का सबसे उभरता हुआ सब-सेगमेंट है। सरकार के 2030 तक ₹50,000 करोड़ के रक्षा निर्यात और ₹3 लाख करोड़ के डिफेंस प्रोडक्शन के लक्ष्य को देखते हुए यह क्षेत्र निवेश के लिए बेहद आकर्षक बन गया है।

First Published - December 24, 2024 | 3:42 PM IST

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