अक्टूबर से दिसंबर 2022 की अवधि (वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही) के लिए कंपनियों के वित्तीय नतीजों से अर्थव्यवस्था में गैर-वित्तीय सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट का संकेत मिलता है।
जहां तक लागत का सवाल है तो कंपनियों को इस दौरान जिंस एवं ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों से थोड़ी राहत मिली लेकिन ब्याज लागत में वृद्धि से उसका फायदा नहीं मिला। तिमाही के दौरान राजस्व वृद्धि में नरमी और खर्च में तेज वृद्धि से गैर-बीएफएसआई कंपनियों की आय बुरी तरह प्रभावित हुई।
उधर, भारतीय उद्योग जगत पर ब्याज लागत का बोझ बढ़ने से ऋणदाताओं एवं बैंकों की आय को रफ्तार मिली। तीसरी तिमाही बैंकों के लिए कम से कम पिछली चार तिमाहियों में सबसे अच्छी रही। इसी दौरान बैंकों की कॉरपोरेट आय में अधिकांश वृद्धि दर्ज की गई।
तीसरी तिमाही के दौरान बैंक एवं वित्तीय कंपनियों, बीमा और स्टॉक ब्रोकिंग को छोड़कर सभी सूचीबद्ध कंपनियों की शुद्ध बिक्री में वृद्धि घटकर 17.1 फीसदी रह गई जो पिछली आठ तिमाहियों में सबसे कम है। दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 29.2 फीसदी और एक साल पहले की समान तिमाही में 28.4 फीसदी रहा था।
राजस्व वृद्धि की रफ्तार सुस्त होने और तेजी से खर्च बढ़ने के कारण लगातार दूसरी तिमाही के दौरान गैर-वित्तीय कंपनियों की आय में संकुचन दिखा। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान इन कंपनियों के एकीकृत ब्याज खर्च में 22.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछली 17 तिमाहियों की सबसे तेज रफ्तार है।
इसके मुकाबले कच्चे माल की लागत में वृद्धि 20.7 फीसदी रही जो एक साल पहले की समान तिमाही में 41.3 फीसदी और दूसरी तिमाही में 43 फीसदी थी।
सभी 2,790 सूचीबद्ध कंपनियों का एकीकृत शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में 14.2 फीसदी घटकर करीब 1.49 लाख करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले 1.74 लाख करोड़ रुपये रहा था। दूसरी तिमाही में इन कंपनियों का एकीकृत शुद्ध लाभ 23.8 फीसदी घटकर 1.39 लाख करोड़ रुपये रहा था।
बैंकों और गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमारी पिछले कई वर्षों में बेहतरीन रही। इस दौरान सूचीबद्ध बैंकों की एकीकृत सकल ब्याज आय में सालाना आधार पर 25.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा महज 3.5 फीसदी रहा था। इसी प्रकार बीमा सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की एकीकृत ब्याज आय में इस दौरान 16.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
तिमाही के दौरान बैंकों का एकीकृत शुद्ध लाभ 42.7 फीसदी बढ़कर 67,943 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। एक साल पहले की समान तिमाही में यह आंकड़ा 47,603 करोड़ रुपये और दूसरी तिमाही में 61,037 करोड़ रुपये रहा था।
विश्लेषकों का मानना है कि चौथी तिमाही में कंपनियों की वृद्धि रफ्तार और सुस्त पड़ सकती है। सिस्टेमैटिक्स इंस्टीट्यूनल इक्विटी के निदेशक एवं प्रमुख (अनुसंधान एवं रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘चौथी तिमाही के दौरान कोविड समय की अटकी हुई मांग खत्म होने से गैर-बीएफएसआई कंपनियों की शुद्ध बिक्री में वृद्धि घटकर 8 से 10 फीसदी रह सकती है। इसके अलावा भारत के विदेशी व्यापार में संकुचन जैसे कुछ वृहद आर्थिक कारकों का भी प्रभाव दिखेगा।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मुनाफे में गिरावट चिंताजनक है क्योंकि कई क्षेत्रों के जीडीपी गणना में इसका उपयोग मूल्य वर्धन के तौर पर किया जाता है जहां पीबीडीआईटी एक बड़ा घटक होता है। तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।’