सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस अंतरिम आदेश को सही ठहराया है, जिसमें अदालत ने तकनीकी कंपनी कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्युशंस को निर्देश दिया था कि वह कर बकाए के तौर पर आयकर विभाग को 2,956 करोड़ रुपये का बकाया कर चुकाए।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिंह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार के पीठ ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह छह हफ्ते के भीतर मामले पर फैसला करे।
आदेश में कहा गया है कि इस मामले में बड़े हितों को देखते हुए हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि इस मामले का निपटान यथासंभव जल्द से जल्द करे और प्राथमिकता के तहत आज से छह हफ्ते के भीतर।
अदालत ने कहा कि आयकर विभाग ने कहा है कि अगर कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी उच्च न्यायालय में अपनी अपील में कामयाब रहती है तो ब्याज समेत पूरी रकम चार हफ्ते के भीतर वापस कर दी जाएगी।
आदेश में कहा गया है, 2,956 करोड़ रुपये में 1,500 करोड़ रुपये नकद और 1,456 करोड़ रुपये एफडी रिसीट्स के तौर पर देने की पेशकश है, जिसे भुनाया जा सके।
हम अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की बात भी रिकॉर्ड कर रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि अगर याची की अपील को उच्च न्यायालय से अनुमति मिलती है तो चार हफ्ते के भीतर पूरी रकम ब्याज समेत वापस कर दी जाएगी।
तकनीकी कंपनी ने उच्च न्यायालय में सितंबर 2023 के आयकर अपील ट्रिब्यूनल आदेश को चुनौती दी थी। साथ ही कंपनी ने विभाग की तरफ से शेयर पुनर्खरीद (2017 से 2018 के बीच 19,000 करोड़ रुपये की खरीद) के मामले में 9,400 करोड़ रुपये के कर की मांग को भी चुनौती दी थी।
पिछले साल कॉग्निजेंट ने कंपनी से वसूली का सभी प्रक्रियाओं पर रोक की मांग की थी और 1,500 करोड़ रुपये नकद भुगतान की पेशकश की थी। उच्च न्यायालय ने इस शर्त पर वसूली पर अस्थायी रोक रोक लगा दी थी कि आयकर विभाग को कॉग्निजेंट 1,500 करोड़ रुपये भुगतान करेगी और 1,456 करोड़ रुपये की एफडी देगी।