एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक ने अपने विलय के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से मांगी छूट पर केंद्रीय बैंक फैसला ले सकता है क्योंकि विलय की तारीख करीब आ रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
पिछले साल अप्रैल में विलय का ऐलान करने वाले एचडीएफसी द्वय को पिछले हफ्ते नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से मंजूरी मिल गई, जो तय समय में इस सौदे को पूरा करने के लिहाज से अहम मील का पत्थर है।
दोनों इकाइयों के प्रबंधन ने कहा था कि विलय में 15 से 18 महीने लगेंगे। चूंकि ज्यादातर अहम मंजूरी मिल चुकी है, ऐसे में इन इकाइयों को अब उम्मीद है कि विलय इस साल जुलाई में पूरा हो जाएगा। निवेशक व अन्य हितधारक एक अहम मसले पर नजरें जमाए हुए हैं और वह है क्षमता (फॉरबियरेंस) पर नियामक की राय।
एचडीएफसी बैंक आरबीआई से अनुरोध किया है कि सांविधिक तरलता अनुपात (statutory liquidity ratio- SLR) और नकद आरक्षी अनुपात (cash reserve ratio- CRR) के अलावा प्राथमिकता क्षेत्र को उधारी (priority sector lending- PSL) के मामले में मानकों को चरणबद्ध रूप से पूरा करने की इजाजत दी जाए।
इसके अलावा बैंक ने कुछ निश्चित परिसंपत्तियों व देनदारी और कुछ सहायकों के मामले में ग्रैंडफादरिंग की भी चरणबद्ध इजाजत मांगी है।
बैंक ने आरबीआई से कहा है कि सीआरआर, एसएलआर और पीएसएल (एचडीएफसी के मामले में) के अनुपालन के लिए उसे दो से तीन साल का वक्त दिया जाए।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के ऊपर बैंकों की तरह सीआरआर, एसएलआर और प्राथमिकता क्षेत्र को उधारी को लेकर कोई दायित्व नहीं है।
एक सूत्र ने कहा, आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इसका अभास नहीं देगा कि फॉरबियरेंस के मामले में उसका क्या विचार है। यह शायद विलय की तारीख के आसपास हो सकता है।
एचडीएफसी बैंक नियामकीय छूट पर निर्भर नहीं है क्योंकि उसने भारी-भरकम जमाओं का अनुमान लगाया है ताकि एचडीएफसी बैंक की परिसंपत्ति का विलय एचडीएफसी बैंक के साथ होने पर वह आसानी से सीआरआर-एसएलआर की अनिवार्यताएं पूरी कर सके।
एचडीएफसी की 5 लाख करोड़ रुपये की उधारी विलय के बाद एचडीएफसी बैंक के 14 लाख करोड़ रुपये के आंकड़ों से जुड़ जाएगी।
एचडीएफसी बैंक हर तिमाही एक लाख करोड़ रुपये की देनदारी जोड़ने का लक्ष्य लेकर कर चल रहा है, जिसे शाखाओं के भारी विस्तार से सहारा मिलेगा। अगर नियामकीय फॉरबियरेंस मिलती है तो यह उसके लिए काफी बेहतर होगा। सूत्रों ने ये बातें कही।