भारत सरकार चीन पर लगातार डिजिटल स्ट्राइक कर रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा के उल्लंघन का हवाला देकर चीन के ऐप पर पाबंदी लगा रही है। इन पाबंदियों से घबराई चीनी मोबाइल ऐप्लिकेशन कंपनियां अब सरकार के सामने प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाने लगी हैं।
लोकप्रिय ऐप चलाने वाली कुछ कंपनियों ने इस सिलसिले में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामने अपना पक्ष रखा और कहा कि उनके कामकाज और परिचालन में चीन सरकार का किसी तरह का दखल या प्रभाव नहीं है। उन्होंने यह तर्क भी दिया कि वे भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान कर रही हैं और रोजगार के मौके तैयार कर रही हैं।
टिकटॉक, वीचैट और हेलो समेत जिन 59 ऐप पर रोक लगाई गई थी, उन्हें चलाने वाली कंपनियों को मंत्रालय के सामने सफाई देने या अपना पक्ष रखने के लिए आज तक की ही मोहलत दी गई थी। जून में सीमा पर झड़प के बाद भारत-चीन तनाव बढऩे के साथ ही इन ऐप्स पर पाबंदी लगा दी गई है। पहली खेप में 59 ऐप पर रोक के बाद सरकार ने इसी हफ्ते 47 नए ऐप को भी प्रतिबंधित कर दिया। दूसरी खेप के ज्यादातर ऐप्स शुरुआती 59 ऐप्स के ही क्लोन थे।
जवाब देने वाली कुछ कंपनियों ने कहा है कि उनके यहां डेटा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और निजता का सम्मान करने की उनकी नीति है। ऐसे में उपयोगकर्ताओ की निजी एवं गोपनीय जानकारी देश से बाहर भेजने या उनका गलत इस्तेमाल करने का सवाल ही नहीं है। यह बात अलग है कि सरकार ने पाबंदी के समय कहा था कि ये ऐप्स देश की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में संलिप्त थे।
चीनी कंपनियों ने यह भी कहा कि सरकार के फैसले का साथ देते हुए उन्होंने रोक लगते ही भारतीय बाजार में अपने ऐप्स बंद कर दिए थे। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘कंपनियों ने कहा है कि वे
सहयोग जारी रखेंगी और जरूरत पडऩे पर कामकाज की शर्तें बदल भी सकती हैं।’ कंपनियों ने सरकार से यह भी कहा कि वे ग्राहकों की मांग पूरी करती हैं और देश की आर्थिक वृद्घि में योगदान करती हैं। उन्होंने दावा किया कि उन पर रोक से कई देसी उद्यमियों के हित भी प्रभावित हुए हैं। मगर इन कंपनियों ने सर्वर भारत में लगाने या अपना मुख्यालय चीन से बाहर ले जाने की शर्त पर कुछ नहीं कहा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि एक समिति कंपनियों की सफाई पर विचार करेगी। समिति में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विधि एवं गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव शामिल होंगे। समिति कंपनियों की भारत में भौतिक उपस्थिति के बारे में भी पूछ सकती है। इनमें ज्यादातर ऐप का कोई भी ढांचा भारत में नहीं है। इसके बाद समिति प्रभावित कंपनियों से अलग-अलग बात करेगी और उनकी दिक्कतें समझने की कोशिश करेगी। जरूरत पडऩे पर उनसे और सफाई मांगी जाएगी। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद समिति प्रत्येक मामले में अपनी सिफारिश देगी और संबंधित रिपोर्ट सक्षम प्राधिकरण को सौंप देगी। प्राधिकरण इस मामले में आखिरी आदेश जारी करेगा।