मांग में सुधार के साथ साथ अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सीमेंट कंपनियों द्वारा करीब 2-3 प्रतिशत की मामूली कीमत वृद्धि उनके मुनाफे पर ऊंची उत्पादन लागत के प्रभाव की भरपाई करने के लिहाज से पर्याप्त साबित नहीं हो सकती है। ब्लूमबर्ग ने तिमाही के लिए सीमेंट क्षेत्र के लिए यह अनुमान जताया है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि तीसरी तिमाही में सालाना शुद्ध बिक्री वृद्धि करीब 7 प्रतिशत रहेगी, जबकि मुनाफा वृद्धि में एक साल पहले के मुकाबले 25 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है।
आंकड़ों से पता चलता है कि सीमेंट कंपनियों का एबिटा एक साल पहले की तुलना में करीब 5 प्रतिशत तक कम रह सकता है। इस क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि जहां आयातित ताप कोयले और पेट्रोलियम कोक (पेटकोक) की कीमतों में जून-जुलाई 2022 के अपने ऊंचे स्तरों से करीब 45 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं बिजली और ईंधन लागत तीसरी तिमाही में मामूली घटी है, क्योंकि कंपनियों के पास अभी भी ऊंची लागत वाला माल उपलब्ध है।
ताप कोयले और पेटकोक, दोनों ही सीमेंट कंपनियों के लिए ऊर्जा के स्रोत हैं। क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि कुल मिलाकर, बिजली और ईंधन खर्च का सीमेंट कंपनियों की उत्पादन लागत में 30-40 प्रतिशत योगदान है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि उदाहरण के लिए, अल्ट्राटेक, एसीसी, श्री सीमेंट, और डालमिया भारत द्वारा सालाना आधार पर 17.1 प्रतिशत, 9.6 प्रतिशत, 20.5 प्रतिशत, और 21.4 प्रतिशत शुद्ध बिक्री दर्ज किए जाने की संभावना है। जहां अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट के लिए सालाना शुद्ध मुनाफा वृद्धि 35 प्रतिशत तक घटने का अनुमान है, वहीं एसीसी के लिए इसमें 22.3 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
ऐक्सिस कैपिटल के विश्लेषकों अमित मुरारका, जयंत गौतम, और दर्शन मेहता ने सीमेंट क्षेत्र पर अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मॉनसून के बाद रेल भाड़ा छूट में बदलाव से तीसरी तिमाही में माल ढुलाई लागत में इजाफा हो सकता है, जिसका बिजली और ईंधन लागत में कमी से मिलने वाले लाभ पर असर पड़ेगा।’
विश्लेषकों का कहना है कि दूसरी तिमाही के मुकाबले, कई जिंसों में उतार-चढ़ाव घटा है, जिससे उत्पादन लागत दबाव से तीसरी तिमाही में कुछ राहत मिली है। इसका असर सीमेंट कंपनियों के लिए तिमाही आधार पर एबिटा और मुनाफा वृद्धि में दिखा है, जिसमें तीसरी तिमाही के दौरान 47.4 प्रतिशत और 52.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
ब्रोकरेज एमके ग्लोबल के विश्लेषकों धर्मेश शाह और हर्शल मिलन मेहता का कहना है, ‘लेकिन सस्ती इन्वेंट्री का पूरा प्रभाव चौथी तिमाही में दिखेगा।’
उनका कहना है, ‘उत्पाद कीमतों में ताजा कमजोरी और बेहतर परिचालन दक्षता की वजह से हमें चौथी तिमाही में मार्जिन सुधार की रफ्तार तेज होने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय पेटकोक कीमतों में भारी गिरावट आई है। हाल में कच्चे तेल की कीमत में 10-15 प्रतिशत गिरावट आने से अल्पावधि में डीजल कीमत में वृद्धि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’
कंपनी और इस क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि मांग के लिहाज से परिवेश मजबूत बना हुआ है, क्योंकि आवासीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निर्माण गतिविधि मजबूत है।
विश्लेषकों का कहना है कि तीसरी तिमाही में श्री सीमेंट और डालमिया भारत के लिए बिक्री वृद्धि 23 और 15 प्रतिशत रहने की संभावना है।