सितंबर खत्म होने के कगार पर है। इसलिए देश में सीमेंट विनिर्माता चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही का समापन कमजोर कीमतों के बीच कच्चे माल की अधिक लागत के साथ कर सकते हैं। यह मानना है उद्योग के विशेषज्ञों और विश्लेषकों का है। सीमेंट विनिर्माता बिजली और ईंधन की लागत कम करने पर लगातार ध्यान दे रहे हैं क्योंकि चूना पत्थर, फ्लाई-ऐश जैसे कच्चे माल पर खर्च ज्यादा स्तर पर बना हुआ है। इस बीच दाम बढ़ाने की कोशिश काफी हद तक विफल रही है।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के निदेशक (शोध) सेहुल भट्ट ने कहा, ‘हालांकि फ्लाई-ऐश और स्लैग की कीमतों में गिरावट के रुख की वजह से वित्त वर्ष की शुरुआत में कच्चे माल की लागत सीमित रहने का अनुमान था, लेकिन यह रुझान बरकरार नहीं रहा। वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में लागत ऊंची बनी रही। नीलामी में प्रीमियम बोलियों और आवक की माल ढुलाई के अधिक दामों की वजह से चूना पत्थर की लागत ज्यादा रही। लिहाजा, चालू वित्त वर्ष के दौरान कच्चे माल की लागत में पांच से सात प्रतिशत का इजाफा होने की उम्मीद है।’
अगस्त में पारित एक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल 2005 से चूना पत्थर समेत खनिजों पर अतिरिक्त कर लगाने के राज्यों के अधिकार को बरकरार रखा। भट्ट ने कहा कि इस फैसले के असर पर अहम नजर रखने की जरूरत होगी।
इस बीच सीमेंट विनिर्माता बिजली और ईंधन खर्चों को नियंत्रण में रखने पर लगातार ध्यान दे रहे हैं। उदाहरण के लिए नुवोको विस्टास कॉर्प जैसी कंपनी को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश और ओडिशा में रेलवे साइडिंग की उसकी परियोजना ब्रिज 2 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। कंपनी ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य बिजली और ईंधन लागत समेत लागत दक्षता को बढ़ाना है।
नुवामा के विश्लेषकों की 9 सितंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार सीमेंट कीमतों में लगातार कमजोरी बनी हुई है। दामों में लगातार नरमी का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगस्त में सभी क्षेत्रों में कीमतों में और भी गिरावट आई, जिससे पूरे उद्योग के लाभ में कमी हो गई।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सितंबर के पहले सप्ताह में देश भर में दाम वृद्धि का ऐलान किया गया है। यह साफ तौर पर राजस्व को और कम होने से बचाने की कोशिश है। हालांकि हमारा मानना है कि कमजोर मांग के कारण महीने के आखिर तक दाम बढ़ोतरी वापस लेनी पड़ सकती है।’
केयरएज की एसोसिएट डायरेक्टर रवलीन सेठी ने कहा कि मूल्य वृद्धि बरकरार नहीं रहने वाली है, ‘अलबत्ता हमें उम्मीद है कि अधिकांश बड़ी कंपनियां कम लागत के कारण वित्त वर्ष 25 का समापन भी वित्त वर्ष 24 के प्रति टन एबिटा के साथ करेंगी।’