डिजिटल मार्केट के लिए एक्स-ऐन्टे विनियमन (पूर्व निर्धारित उपाय) तैयार करते समय सरकार इस तथ्य के प्रति काफी गंभीर थी कि स्टार्टअप क्षेत्र का खास ध्यान रखा जाए। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की चेयरपर्सन रवनीत कौर ने आज यह बात कही।
वह सीआईआई ग्लोबल इकनॉमिक पॉलिसी फोरम में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून बनाने वाले यूरोप के विपरीत भारत नवाचार एवं उद्यमिता का ऐसा केंद्र है जहां बड़ी तादाद में स्टार्टअप मौजूद हैं।
कौर ने कहा, ‘हमारे यहां दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप परिवेश है। बाहर जो कुछ भी होता है उसे हम एक मार्गदर्शन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन हमें भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर काम करना चाहिए, क्योंकि हमारी भूमिका सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की है ताकि भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा लगातार बनी रहे।’
डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के मसौदे में एक्स-ऐन्टे (निवारक) विनियमन प्रस्तावित किए गए हैं। इसके तहत डिजिटल कंपनियों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को यह सूचित करना होगा कि वे कुछ गुणात्मक एवं मात्रात्मक, दोनों मानदंडों के आधार पर व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल उद्यम (एसएसडीई) के रूप में पात्रता मानदंडों को पूरा करती हैं।
कौर ने कहा कि स्टार्टअप और छोटी कंपनियों से कर्मचारियों की सेंधमारी से भर्ती चिंताजनक है। ऐसा खास तौर पर अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे बाजारों में दिख रहा है जहां पहले आगे आने के फायदे में रहने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में इस तरह की प्रथाओं में लिप्त हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमें भारत में अब तक ऐसा कुछ नहीं दिखा है। अगर जरूरत पड़ी तो निश्चित रूप से इस पर गौर किया जाएगा। अगर कोई आयोग की नजरों से बचते हुए ऐसी हरकत करने की कोशिश करेगा तो उस पर भी विचार किया जाएगा।’
विनियमन और नवाचार में संतुलन के बारे में सीसीआई की चेयरपर्सन ने बताया कि आयोग विलय एवं अधिग्रहण की मंजूरी के लिए सख्त समयसीमा और डीम्ड मंजूरी की अवधारणा लेकर आया है। उन्होंने कहा कि किसी खास क्षेत्र में उपभोक्ता कल्याण संबंधी हितों को स्टार्टअप एवं उद्यमियों के हितों के साथ संतुलित करना आयोग की एक प्रमुख चुनौती थी।
कौर ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका सभी के लिए समान अवसर प्रदान करते हुए यह सुनिश्चित करना है कि उद्योग को समय पर निर्णय का फायदा मिल सके और विलय एवं अधिग्रहण में देरी न हो।