कानून मंत्रालय ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को बिना पूरे कोरम के आवश्यकतानुसार स्वविवेक के सिद्धांत से विलय के लंबित आवेदनों पर निर्णय लेने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
वर्तमान में विलय के लिए 16 आवेदन, जिनमें से कई वैश्विक कंपनियों से जुड़े हुए हैं, सीसीआई में अनुमोदन के लिए लंबित हैं क्योंकि इसके पास कोरम का अभाव है।
विलय को मंजूरी देने के लिए सीसीआई को तीन सदस्यों के कोरम की आवश्यकता होती है। सीसीआई के पूर्व चेयरपर्सन अशोक गुप्ता की सेवानिवृत्ति के बाद केवल दो सदस्य ही रह गए हैं।
आवश्यकतानुसार स्वविवेक का सिद्धांत कानूनी अधिकारियों को किसी विशेष क्षण में कुछ कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है, वरना इसे किसी सामान्य कानूनी स्थिति में कानून के दायरे में नहीं माना जाता।
विलय के कुछ लंबित सौदों में अर्दोर होल्डिंग पीटीई और हीरो फ्यूचर ग्लोबल एनर्जीज, एजीआई ग्रीनपैक और हिंदुस्तान नेशनल ग्लास, मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर और लैंको अनपरा पावर, कमिंस और मेरिटर, डालमिया सीमेंट और जयप्रकाश एसोसिएट्स के कुछ करोबार आदि शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय कानून मंत्रालय के सुझाव की जांच कर रहा है और वह सीसीआई को अगले सप्ताह से आवेदनों को मंजूरी देना शुरू करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।
कानून मंत्रालय का यह सुझाव उद्योग के विभिन्न संगठनों द्वारा इस मसले को सरकार के सामने उठाए जाने की पृष्ठभूमि में आया है कि सीसीआई की तरफ से हुए विलंब ने हजारों करोड़ रुपये के सौदों को लटका रखा है।