देश के इंजीनियरिंग और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को केंद्र सरकार के लगातार दो बजटों में 10 लाख करोड़ रुपये और 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के पूंजीगत व्यय पर जोर दिए जाने से काफी मदद मिली है। इस कारण इस क्षेत्र के पास पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 8.9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर थे। ऑर्डर पाने वाली कंपनियों में एलऐंडटी और इसी श्रेणी की 12 अन्य फर्म शामिल हैं।
मार्च 2023 में दर्ज 7.67 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर की तुलना में इनमें 17 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। एलऐंडटी ने पिछले वित्त वर्ष में 4.75 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर हासिल किए। अब जब गठबंधन सरकार बनने वाली है तो उद्योग के अधिकारियों और विश्लेषकों को उम्मीद है कि यह रुझान जारी रहेगा, लेकिन इसकी रफ्तार अलग होगी।
लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) के पूर्णकालिक निदेशक (भारी इंजीनियरिंग और एलऐंडटी वाल्व) अनिल परब ने कहा ‘फैसलों में अलग-अलग सोच और विविध हितों का असर दिख सकता है। यह रफ्तार पिछले दो कार्यकाल से अलग हो सकती है क्योंकि आपको सभी हितधारकों का ध्यान रखना होगा लेकिन इसका दिशा जारी रहेगी।’
एक अन्य पूंजीगत वस्तु और इंजीनियरिंग फर्म के शीर्ष कार्यकारी ने कहा, ‘कोई भी संकेतक चुन लीजिए… अगले दो साल आशाजनक दिख रहे हैं। इसके अलावा रोजगार महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया जाना जारी रहेगा। दिशा के हिसाब से चीजें जारी रहनी चाहिए। हमें इस क्षेत्र पर ध्यान को समझने के लिए बजट का इंतजार करना होगा।’
परब ने कहा ‘चुनाव का एक एजेंडा बेरोजगारी था। आप रोजगार पैदा किए बिना पूंजीगत व्यय नहीं कर सकते। वे आपस में जुड़े हुए हैं।’ पूंजीगत वस्तु क्षेत्र से संबंधित रिपोर्ट में आईआईएफएल के विश्लेषकों ने कहा, ‘हालांकि बुनियादी ढांचे और विनिर्माण पर निवेश का व्यापक जोर जारी रहेगा, लेकिन बिजली वितरण क्षेत्र में प्रमुख सुधारों से संचालित बड़े व्यय पर जोखिम हो सकते हैं या उनमें देर दिख सकती है।’
ब्रोकरेज फर्म नुवामा का भी ऐसा ही कुछ मानना है, ‘नया गठबंधन निवर्तमान गठजोड़ के मुकाबले कम निर्णायक हो सकता है और निकट भविष्य में व्यय का जोर ग्रामीण क्षेत्र (पहले के पूंजीगत व्यय के मुकाबले) की दिशा में हो सकता है। हालांकि हमें नहीं लगता कि नई सरकार सुधारों से पीछे हटेगी या राजकोषीय खर्ची का सहारा लेगी।’