कंपनियां

वित्त वर्ष 2024 में फिर धीमा पड़ा कंपनियों का पूंजीगत व्यय, निवेश में सुस्ती

FY 2023 में उत्साहजनक वृद्धि के बाद 2023-24 में कंपनियों का पूंजीगत व्यय 7.6% बढ़ा, कमजोर मांग और बिक्री के कारण निवेश में गिरावट, विशेषज्ञों को FY 2025 में सुधार की उम्मीद।

Published by
कृष्ण कांत   
Last Updated- June 17, 2024 | 10:59 PM IST

वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों की चाल पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर एक बार फिर सुस्त पड़ने लगी है। कपनियों ने 2022-23 में क्षमता विस्तार एवं नई परियोजनाओं पर खर्च जरूर बढ़ाया था मगर उनका यह उत्साह अब काफूर होने लगा है। देश की 990 सूचीबद्ध कंपनियों (बीमा, वित्त, बीमा, शेयर ब्रोकरेज कंपनियों को छोड़कर) की नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में केवल 7.6 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि एक साल पहले इसमें 2021-22 की तुलना में 12.2 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

देश में लगभग सभी क्षेत्रों की कंपनियों का यही हाल रहा और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समझे जाने वाले क्षेत्रों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय कम रहा था।

बीएफएसआई क्षेत्र के अलावा बाकी कंपनियों (रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत तेल एवं गैस कंपनियों को छोड़कर) की कुल नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में साल भर पहले से 6.3 प्रतिशत बढ़ीं। साल भर पहले इनमें 2021-22 की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़त आई थी। अगर इनमें से खनन एवं धातु कंपनियां भी हटा दें तो बची कंपनियों की नियत परिसंपत्तियां साल भर पहले से केवल 5.4 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि 2022-23 में उनमें 8.9 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी।

तेल एवं गैस और खनन एवं धातु ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सबसे अधिक पूंजी लगती है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान जितनी कंपनियों के आंकड़े खंगाले गए, उनमें इन दो क्षेत्रों की कंपनियों की शुद्ध नियत परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत रही है।

वित्त वर्ष 2024 में तेल एवं गैस कंपनियों की संयुक्त नियत परिसंपत्तियों में 10.9 प्रतिशत का इजाफा जरूर हुआ मगर वित्त वर्ष 2023 में यह इजाफा 18.7 प्रतिशत था। खनन एवं धातु कंपनियों की नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 में 9.8 प्रतिशत अधिक रहीं, जबकि वित्त वर्ष 2023 में इनमें 13.9 प्रतिशत बढ़ोतरी रही थी।

पूंजीगत व्यय में पिछले नौ साल के दौरान सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2023 में ही हुई और इसके कारण देश में निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ने की उम्मीद भी बढ़ गई थी। लेकिन पिछले वित्त वर्ष में कंपनियों से कम निवेश आने के कारण उम्मीद पर पानी फिर गया। विश्लेषकों के अनुसार अर्थव्यवस्था में मांग कमजोर रहने और बिक्री में कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर रहने के कारण कंपनी जगत ने नया निवेश कम किया।

हमारे नमूने में बीएफएसआई को छोड़कर बाकी 990 कंपनियों की कुल नियत परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2024 के अंत में बढ़कर 69.7 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जो एक वर्ष पहले 64.74 लाख करोड़ रुपये ही थीं। पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2019 से 2024) के दौरान इन कंपनियों की नियत शुद्ध परिसंपत्तियां 7.6 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ी हैं। रफ्तार वित्त वर्ष 2014 से 2019 के दौरान दर्ज 6.9  प्रतिशत से अधिक रही मगर 2009 से 2014 की अवधि में दर्ज 15.7 प्रतिशत चक्रवृद्धि दर से यह कम है।

नियत परिसंपत्तियों में मूर्त एवं अमूर्त परिसंपत्तियों में कुल निवेश शामिल किया जाता है और उसमें से मूल्यह्रास तथा चल रही पूंजीगत गतिविधियां हटा दी जाती हैं। इसमें संयंत्र एवं उपकरण, भूमि एवं भवन, दूरसंचार स्पेक्ट्रम पेटेंट, बौद्धिक संपदा, कार्यालय उपकरण, परिवहन उपकरण समेत तमाम श्रेणियों पर हुआ खर्च शामिल होता है।

सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में रिसर्च एवं शेयर स्ट्रैटजी के को-हेड धनंजय सिन्हा कहते हैं, ‘फिलहाल देश में निजी क्षेत्र के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने का कोई बड़ा कारण नजर नहीं आ रहा है। वित्त वर्ष 2024 गैर-वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री लगभग सपाट रही थी। नई परियोजनाओं में पूंजी फंसाने के बजाय वे अपना मुनाफा एवं मार्जिन बचाने की जद्दोजहद कर रही थीं।’

बीएफएसआई के अलावा शीर्ष 990 सूचीबद्ध कंपनियों की कुल बिक्री वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले 2023-24 में 2.1 प्रतिशत बढ़ी। वित्त वर्ष 2023 में यह 23.2 प्रतिशत और 2022 में 31.9 प्रतिशत बढ़ी थी।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद कहा था, ‘शुरुआती नतीजे बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र का क्षमता उपयोग बढ़कर 76.5 प्रतिशत हो गया, जो इससे पिछली तिमाही में 74.7 प्रतिशत था। अब यह दीर्घ अवधि के औसत 73.8 प्रतिशत से आगे निकल गया है।‘
वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग 76.3 प्रतिशत था। अक्सर ऐसा देखा गया है कि पूंजीगत व्यय की चाल शुद्ध बिक्री में वृद्धि एवं नियत परिसंपत्ति अनुपात पर निर्भर करती है।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जी चोकालिंगम कहते हैं, ‘विनिर्माण क्षेत्र में  मांग दमदार नहीं रहने से पूंजीगत व्यय में सुस्ती आई है। एफएमसीजी कंपनियों का कारोबार कमजोर रहा है और रसायन कंपनियों को भी बेहतर आंकड़े जुटाने में परेशानी हो रही है। पिछले वित्त वर्ष में सीमेंट क्षेत्र केवल 70 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर पाया। वाहन क्षेत्र में केवल एसयूवी  की मांग अधिक रही और व्यावसायिक वाहनों, ट्रैक्टरों तथा छोटी कारों की बिक्री बढ़ने के बजाय घट गई है। वित्त वर्ष 2024 में दोपहिया वाहनों की बिक्री जरूर बढ़ी है मगर यह भी पहले की तुलना में कम रही है।‘ फिर भी चोकालिंगम को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में मांग सुधरने से कंपनियां पूंजीगत व्यय बढ़ा सकती हैं।

First Published : June 17, 2024 | 10:59 PM IST