केयर्न ऑयल ऐंड गैस अगले साल केजी बेसिन ब्लॉक की अपतटीय खुदाई में 5-6 कुएं खोदने की योजना बना रही है। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी हितेश वैद्य ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि गहरे समुद्र में इस प्रमुख उत्खनन में अरबों बैरल कच्चा तेल मिल सकता है।
वैद्य ने कार्यक्रम इंडिया एनर्जी वीक के इतर बताया कि यह तेल उत्खनन कंपनी इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रमुख वैश्विक परियोजना प्रबंधक, इंजीनियरिंग और विनिर्माण कंपनियों पेट्रोफेक, टेकनिप और वनसबसी को एकजुट कर रही है।
वेदांता समूह के हिस्से केयर्न ने ओपन एकरेज लाइसेंसिंग (ओएएलपी) के पिछले दौर में इस ब्लॉक को फिर से हासिल किया था। यह 4,500 वर्ग किलोमीटर का तेल ब्लॉक आंध्र प्रदेश के कच्चे तेल संपन्न कृष्णा गोदावरी बेसिन में है। रिलायंस ने तेल की खोज के बाद इस ब्लॉक को छोड़ दिया था।
वैद्य के अनुसार, ‘हमारा विचार यह है कि यह ब्लॉक बेहद आकर्षक है। हमारे पास पहले से इस ब्लॉक में खोजें हैं, लिहाजा अन्वेषण की संभावनाएं भी हैं। संभावनाओं के संदर्भ में बात की जाए तो यह हमें एक अरब बैरल कच्चा तेल भी दे सकता है। हमने बीते माह एक कंपनी को ठेका दिया है कि वह हमें प्रतिरोधकता परीक्षण के आधार पर आंकड़े मुहैया करवाए।’
उन्होंने स्वीकारा कि केयर्न के पास गहरे समुद्र में उत्खनन का कौशल नहीं है, कंपनी ने ज्यादातर उथले पानी में उत्खनन किया है। उन्होंने कहा कि आगामी आंकड़ों को केयर्न के अपने भूगर्भीय आंकड़ों के साथ जोड़ा जाएगा। आंकड़े मार्च में एकत्रित करने शुरू किए जाएंगे। कंपनी को मई तक अधिक स्पष्टता आने की उम्मीद है। केयर्न बीते 18 महीनों से इस परियोजना पर कार्य कर रही है।
कंपनी के पास इस क्षेत्र में 10-12 कुएं खोदने की क्षमता है लेकिन इसका उद्देश्य महज 5-6 कुओं की खुदाई करना है। यह निर्णय अपतटीय खनन की लागत अत्यधिक आने के कारण लिया गया है। वैद्य ने बताया कि एक अपतटीय कुएं की खुदाई में करीब 5 करोड़ डॉलर का खर्च आता है।
निविदा के लिए वैश्विक गठजोड़
अधिक गहरे समुद्र में तेल उत्खनन के लिए कंपनी विदेशी कंपनियों से समझौता करेगी ताकि तेल और गैस परिसंपत्तियों के हाल में शुरू 10वें दौर की नीलामी में गहरे समुद्र और अत्यधिक गहरे समुद्र के खंडों में बोली लगाई जाए। वैद्य ने बताया, ‘भारत में कई वैश्विक कंपनियां आना चाहती हैं। इसका कारण यह है कि तेलक्षेत्र (विनियमन और विकास अधिनियम) में संशोधन किया गया है और सरकार अत्यधिक गहरे पानी में उत्खनन के दौर (नीलामी) की ओर जा चुकी है।
ऐसी कई कंपनियां भारत में साझेदार चाहती हैं और इस मामले में हमसे बेहतर कौन हो सकता है जो 25 वर्षों से यह कार्य कर रहा हो। हम कई पक्षों से बातचीत कर रहे हैं।’ अभी तक भारत में गहरे समुद्र में तेल की खोज में सरकारी कंपनी ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन का दबदबा रहा है। इस कंपनी ने 2004 के बाद से गहरे समुद्र में तेल की खोज के लिए 100 से अधिक खुदाई की हैं।
केयर्न को केजी बेसिन में ड्रिलिंग से कंपनी का प्रोफाइल बेहतर होने की उम्मीद है और उसे आकर्षक साझेदार मिलने में मदद मिल सकती है। मुख्य वित्तीय अधिकारी ने बताया कि वैश्विक कंपनियां पश्चिमी तट में कम उथले पानी वाले कंपनी के पोर्टफोलियो में इच्छुक हैं। पूर्वोत्तर में जारी परियोजनाओं के कारण कंपनी का इस क्षेत्र में पोर्टफोलियो तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है। प्रमुख वैश्विक कंपनियां तटीय की जगह अपतटीय अन्वेषण में इच्छुक हैं। दरअसल तटीय अन्वेषण के लिए जमीन अधिग्रहण में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।