कंपनियां

बिज़नेस स्टैंडर्ड सर्वेक्षण: पूंजी निवेश को तैयार उद्योग जगत, कंपनियों के CEO ने जताया बाजार पर भरोसा

BS Poll: शेयर बाजार में तेजी बनी रहने की संभावना पर 59 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि आने वाले महीनों में बाजार में तेजी बनी रहेगी

Published by
बीएस संवाददाता   
Last Updated- August 21, 2023 | 9:12 PM IST

बाजार में उपभोक्ताओं की तरफ से मांग लगातार बढ़ रही है और सरकार भी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। इनका फायदा उठाने के लिए देसी कंपनियां आने वाले महीनों में पूंजीगत निवेश बढ़ाने की योजना बना रही हैं।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने देश के 22 मुख्य कार्याधिकारियों (CEO) के बीच सर्वेक्षण कराया, जिसमें 86 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि पिछले एक साल में उन्होंने निवेश किया है और आने वाले महीनों में उनकी निवेश बढ़ाने की योजना है।

कई CEO ने कहा कि नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की सरकार की योजना से उनकी कंपनियों को नए ऑर्डर मिलेंगे। इसीलिए कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ा रही हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने हालिया बयान में भी संकेत दिया था कि पूंजीगत खर्च बढ़ा है। इसका प्रमाण निजी क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले परियोजना ऋणों से मिलता है। वित्त वर्ष 2023 में बैंकों ने 2.2 फीसदी नए कर्ज मंजूर किए हैं और 1.4 फीसदी अभी बंटने बाकी हैं। पिछले वित्त वर्ष में नए कर्ज 1.3 फीसदी ही थे।

हालांकि सुधार हुआ है लेकिन कुछ विश्लेषक मान रहे हैं कि फायदा व्यापक नहीं है। कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले कुछ वर्षों में हमने जो ​स्थिति देखी थी, उसमें सुधार हुआ है मगर हमारे हिसाब से वृद्धि अभी मजबूत चरण में नहीं पहुंची है। बिजली, सड़क और पुल जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को बैंक कर्ज देना पसंद कर रहे हैं। मेगा परियोजनाओं के लिए कर्ज में मामूली बढ़ोतरी हुई है।’

भारतीय उद्योग जगत के निवेश में बड़ी कंपनियों का ही अहम योगदान रहा है। लार्सन ऐंड टुब्रो अपने संयुक्त उपक्रम साझेदार के साथ ग्रीन हाइड्रोजन में 4 अरब डॉलर तक का निवेश करने की योजना बना रही है। इससे पहले अदाणी समूह ने नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में 2027 तक 70 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा की थी। इसी तरह रिलायंस और टाटा समूह भी हरित ऊर्जा क्षेत्र में 9.2-9.2 अरब डॉलर निवेश कर रहे हैं।

RBI ने अपने बयान में कहा था कि वित्त वर्ष 2023 में निजी क्षेत्र की कुल 2.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं को बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से पूंजी मिली है। वित्त वर्ष 2010 में 4.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज मिला था, जिसके बाद पहली बार 2 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार हुआ है। इससे पता चलता है कि पूंजीगत खर्च कितना बढ़ रहा है।

मोदी सरकार के पिछले 9 साल के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर 73 फीसदी प्रतिभागियों ने इसे ‘अच्छा’ बताया। 23 फीसदी ने प्रदर्शन को ‘औसत’ बताया और केवल 4.55 फीसदी ने इसे ‘खराब’ कहा।

हाल में कुछ कारोबारी घरानों की पड़ताल जांच एजेंसियों ने की है। इस बारे में पूछे जाने पर 59 फीसदी सीईओ ने कहा कि उन्हें इसकी फिक्र नहीं है। मगर बाकी प्रतिभागी बोले कि कंपनियों की बढ़ती जांच-पड़ताल से वे परेशान हैं।

शेयर बाजार में तेजी आगे भी बनी रहने की संभावना पर सवाल पूछा गया तो 59 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि आने वाले महीनों में बाजार में तेजी बनी रहेगी। तकरीबन 55 फीसदी प्रतिभागियों ने आशंका जताई कि आगे रुपया और भी कमजोर हो सकता है।

सबसे बड़ी चिंता पूछी गई तो सर्वेक्षण में शामिल 27 फीसदी से अधिक CEO ने महंगाई का नाम लिया। 23 फीसदी ने कहा कि कई क्षेत्रों में केवल दो कंपनियों का दबदबा चिंता का सबब है। 18 फीसदी के आसपास प्रतिभागियों ने असमान वृद्धि को प्रमुख समस्या बताया और बाकी को कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता समेत कई समस्याएं अधिक चिंतित कर रही हैं। 91 फीसदी CEO ने कहा कि बढ़ती महंगाई से जूझ रहे वेतनभोगी वर्ग को सरकार से ज्यादा कर प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

आंतरिक सुरक्षा के मसले पर 55 फीसदी CEO ने कहा कि मणिपुर और हरियाणा में हालिया हिंसा से वे चिंतित नहीं है। 59 फीसदी सीईओ ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि विपक्षी मोर्चा (इंडिया) 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दे सकता है।

(देव चटर्जी, सोहिनी दास, ई​शिता आयान दत्त, शाइन जैकब, सुंदर सेतुरामन, अभिषेक कुमार, अंजलि सिंह और अजिंक्य कावले)

First Published : August 21, 2023 | 9:12 PM IST