चेन्नई स्थित मालवाहक जहाज से जुड़ी कंपनी ब्लूडार्ट एवियेशन ने अपने चार पुराने मालवाहक विमानों बोइंग 737 को बदलने का फैसला किया है। इन मालवाहक विमानों की जगह अब बोइंग 757 विमानों को लाया जाएगा। यह फैसला माल ढ़ोने की क्षमता में इजाफा के मद्देनजर किया गया है।
बोइंग 757 विमान की माल ले जाने की क्षमता बोइंग 737 से अधिक होगी। हालांकि बैठने के लिए इस विमान में भी पहले वाले विमान की तरह सात सीटें होंगी। गत वर्ष कंपनी ने एक 757 मालवाहक विमान को अपने बेडे में शामिल किया था। जिसे डीएचएल एक्सप्रेसेज यूरोपीयन एयर ट्रांसपोर्ट से लिया गया था। ब्लू डार्ट में डीएचएल की 81 फीसदी की हिस्सेदारी है। ब्लू डार्ट एवियेशन के चेयरमैन तुषार जनी कहते हैं, ‘हम अपने मालवाहक बेडे क़े आकार को नहीं बढ़ा सकते है।
क्योंकि एयरपोर्ट पर पार्किंग की जगह की भारी कमी है। लिहाजा हमने बोइंग 737 को बोइंग 757 से बदलने का फैसला किया है।‘ फिलहाल बोइंग 757-200 (एसएफ) की कीमत 80-85 मिलियन डॉलर बताई जा रही है। बीएसई में सूचीबध्द यह कंपनी इस खरीदारी के लिए कुल राशि का प्रबंध आंतरिक संभूति से कर लेगी। कंपनी के कुल राजस्व में 21 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई है। वर्ष 2006 दिसंबर के 668 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले वर्ष 2007 दिसंबर में यह राजस्व बढ़कर 811 करोड़ रुपये हो गया। मालवाहक विमानों के बदले जाने से कंपनी की माल ढोने की क्षमता में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। अनुमान है कि इस क्षमता में 32 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। वर्ष 2011 तक यह क्षमता 148 टन से बढ़कर 196 टन हो जाने का अनुमान है। बोइंग 737 की क्षमता जहां 16 टन माल ढोने की है वही बोइंग 757 की क्षमता 28 टन माल ढोने की होगी।
विमानों में यह बदलाव ऐसे समय में किया जा रहा है जब कंपनी विदेशों में भी अपनी सेवा देने की योजना बना रही है। संभावना है इस साल कंपनी विदेशों में भी अपनी सेवा देने लगेगी। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उड़ान के घंटों में बढ़ोतरी के बाद इस विमान की सेवा का लाभ उठाया जा सकेगा। कंपनी इन दिनों इस बात का अनुमान लगा रही है कि विदेशों में सेवा देने पर क्या नफा–नुकसान होगा। पहले भारत की सीमा से सटे देश व दक्षिण पूर्व के देशों में यह सेवा शुरू की जाएगी। हालांकि एयरपोर्ट पर बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण इस प्रकार की सेवाओं के विस्तार में दिक्कतें आती हैं। जनी के मुताबिक एयरपोर्ट पर भीड़ के कारण अधिक विमानों को संचालित नहीं किया जा सकता है। इसलिए विमानों की संख्या बढ़ाने का मतलब नहीं रह जाता है।