मशहूर अरबपति और परोपकार से जुड़े रहने वाले पलोनजी मिस्त्री का आज तड़के मुंबई में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। मिस्त्री के परिवार में पत्नी पैट्सी, बेटियां लैला रुस्तम जहांगीर, अलू नोएल टाटा और बेटे शापूर मिस्त्री तथा साइरस मिस्त्री हैं।
मिस्त्री का परिवार 150 साल से भी ज्यादा समय से निर्माण कारोबार से जुड़ा है। उनका मशहूर एसपी समूह टाटा संस में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है।
मिस्त्री ने हमेशा सामान्य जीवनशैली बनाए रखी और टाटा समूह के मामलों में परोक्ष प्रभाव के कारण उन्हें ‘बॉम्बे हाउस का फैंटम’ कहा जाता था। बॉम्बे हाउस टाटा समूह का मुख्यालय है। पलोनजी की बेटी अलू की शादी टाटा समूह के प्रमुख संरक्षक रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा से हुई है।
मिस्त्री 1990 के दशक में कुछ समय के लिए टाटा समूह की तत्कालीन कंपनी एसीसी के अध्यक्ष भी बने थे और टाटा समूह के सीमेंट कारोबार से बाहर निकलने के तुरंत बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था। मिस्त्री वर्ष 2004 तक टाटा संस के बोर्ड में एक निदेशक की हैसियत से भी रहे। समूह के अधिकारी मिस्त्री को आयरलैंड के एक नागरिक और जमीन से जुड़े शख्स के तौर पर याद करते हैं जिन्होंने शायद ही कभी किसी पार्टी में हिस्सा लिया हो। पलोनजी और रतन टाटा के सौहार्दपूर्ण संबंध थे। पलोनजी ने विदेशों में कई कंपनियों को खरीदने और कुछ कारोबारों से बाहर निकलने जैसे सभी फैसलों में रतन टाटा का समर्थन किया था।
मिस्त्री ने कुछ साल पहले टाटा संस में अपने शेयरों और अपने कारोबार को अपने बेटों के बीच समान रूप से विभाजित किया था। उनके छोटे बेटे साइरस को 2012 में टाटा संस का अध्यक्ष भी बनाया गया था, लेकिन साइरस और रतन टाटा के रिश्ते में खटास दिखती नजर आई और टाटा संस बोर्ड ने अक्टूबर 2016 में साइरस को अध्यक्ष पद से हटा दिया। मिस्त्री परिवार की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में है।
पिछले पांच वर्षों में टाटा समूह के शेयरों में तेज वृद्धि के बलबूते मिस्त्री की संपत्ति में कई अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। ब्लूमबर्ग के अरबपतियों के सूचकांक के अनुसार मिस्त्री की हैसियत लगभग 29 अरब डॉलर तक हो गई, जिसकी वजह से वह भारत और यूरोप में सबसे अमीर शख्सियतों में शामिल हो गए। वर्ष 2003 में मिस्त्री ने डबलिन में जन्मी पैट्सी से शादी कर ली और आयरलैंड की नागरिकता भी पा ली।
शापूरजी पलोनजी समूह की कंपनियों ने मुंबई की कुछ ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया, जिनमें हॉन्गकॉन्ग बैंक, ग्रिंडलेज बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक तथा ओबेरॉय होटल्स की इमारतें शामिल हैं।
दिलचस्प बात यह है कि हिंदी सिनेमा के इतिहास में अपने समय की सबसे सफल फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ के निर्माता भी पलोनजी के पिता थे और वर्ष 2004 में डिजिटल तरीके से रंगीन बनाने के बाद इस परिवार ने फिल्म को दोबारा रिलीज कराया था। परिवार ने इसके बाद फिल्म कारोबार में निवेश नहीं किया।
1929 में जन्मे मिस्त्री ने स्कूल और कॉलेज की शिक्षा मुंबई में ही पूरी की और 1947 में वह अपने पारिवारिक कारोबार शापूरजी पलोनजी ऐंड कंपनी लिमिटेड से जुड़ गए। उस वक्त उनकी उम्र महज अठारह साल थी और उनके पिता शापूरजी पलोनजी मिस्त्री की चौकस नजरें उन पर टिकी थीं। उन्होंने कारोबार की चुनौतियों और बारीकियों को बहुत जल्दी सीख लिया। उन्होंने अपने पिता के निधन के बाद 1975 में कंपनी की बागडोर संभाली।
उनके पिता ने बड़े पैमाने पर निर्माण से जुड़े कामों पर अपना ध्यान केंद्रित किया था और कई दशकों में अपना कारोबार भी कई गुना बढ़ा लिया था। लेकिन शापूरजी के विपरीत पलोनजी एक चतुर कारोबारी थे और भारत में औद्योगीकरण तथा अर्थव्यवस्था के बढ़ते दायरे के कारण तैयार हुए नए अवसर खोजने के लिए तैयार रहते थे।
धमार्थ ट्रस्टों से इतर पलोनजी मिस्त्री की 18.4 फीसदी की हिस्सेदारी ने उन्हें टाटा समूह की धारक कंपनी टाटा संस में सबसे बड़ा शेयरधारक बना दिया।
2012 की शुरुआत में पलोनजी ने एसपी समूह की परिचालन और धारक कंपनी शापूरजी पलोनजी ऐंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन की कुर्सी छोड़ दी और उनके बड़े बेटे शापूर मिस्त्री चेयरमैन बने। छह दशकों तक भारतीय उद्योग और राष्ट्र निर्माण में पलोनजी के अहम योगदान को देखते हुए 2016 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
