facebookmetapixel
RSS ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक… सीपी राधाकृष्णन का बेमिसाल रहा है सफरभारत के नए उप राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से हरायासेबी ने IPO नियमों में ढील दी, स्टार्टअप फाउंडर्स को ESOPs रखने की मिली मंजूरीNepal GenZ protests: नेपाल में क्यों भड़का प्रोटेस्ट? जानिए पूरा मामलाPhonePe का नया धमाका! अब Mutual Funds पर मिलेगा 10 मिनट में ₹2 करोड़ तक का लोनभारतीय परिवारों का तिमाही खर्च 2025 में 33% बढ़कर 56,000 रुपये हुआNepal GenZ protests: प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी दिया इस्तीफापीएम मोदी ने हिमाचल के लिए ₹1,500 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया, मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की मददCredit risk funds: क्रेडिट रिस्क फंड्स में हाई रिटर्न के पीछे की क्या है हकीकत? जानिए किसे करना चाहिए निवेशITR Filing2025: देर से ITR फाइल करना पड़ सकता है महंगा, जानें कितनी बढ़ सकती है टैक्स देनदारी

आउटसोर्सिंग में छोटे अनुबंधों का बड़ा खेल

Last Updated- December 05, 2022 | 4:23 PM IST


आईटी और आउटसोर्सिंग कंपनियां अब कम कीमत में छोटी अवधि के अनुबंधों की राह पर चल निकली हैं। परामर्श सेवा और शोध क्षेत्र की कंपनी डेटामॉनिटर के आंकड़े तो कम से कम इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। इसकी ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जनवरी 2007 से जनवरी 2008 तक होने वाले अनुबंधों में 41 फीसदी 3 से 5 साल और 36 फीसदी 5 से 10 साल के लिए हुए हैं। छोटी अवधि और कम लागत में होने वाले अनुबंधों में परिचालन का जोखिम बंट जाता है और इसमें व्यापार की मांग के  अनुसार नए संबंध भी बनते हैं। इसके साथ ही परामर्श देने वाली कंपनियों का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में आई टी कंपनियों के हिस्से में कुछ बड़े सौदे आ सकते हैं। इन कंपनियों का अनुमान है कि नये होने वाले अनुबंध 33.3 करोड़ डालर यानी करीब 1340 करोड़ रुपये के हो सकते हैं। डेटामॉनिटर ने इस साल होने वाले अनुबंधों के रुझान को भी दिखाया है। पिछले साल के आखिर में यह न्यूनतम स्तर पर आ गया था लेकिन चालू साल की पहली तिमाही में यह संभल भी गया। उदाहरण के तौर पर आई टी कंपनियों के सौदों में जनवरी 2008 में काफी तेजी देखी गई। इस महीने होने वाले सौदों में पिछले महीने की तुलना में 43 फीसदी का इजाफा हुआ। जनवरी 2008 में प्रोएक्टिव कम्युनिकेशन को मिला 60 अरब रुपये का अनुबंध सबसे बड़ा सौदा साबित हुआ। इस रिपार्ट में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2008 में होने वाले अनुबंधों में केवल 5 अनुबंध 10 साल के लिए किये गये। इस दौरान होने वाले पूरे 144 अनुबंधों में 52 फीसदी 3 से 5 साल की अवधि के लिए हुए। आईबीएम, ईडीएस, एटीएेंडटी और एटोस ओरिजन जनवरी 2008 में सबसे ज्यादा अनुबंध पाने वाली कंपनियां रहीं। जनवरी 2008 में पिछली जनवरी के मुकाबले 13 फीसदी सौदे अधिक हुए। जनवरी में होने वाले सौदों में 62 फीसदी सौदे 100 करोड़ रुपये से कम के हुए, 24 फीसदी सौदे 40 से 100 करोड़ रुपये के बीच हुए और 22 फीसदी 40 करोड़ रुपये से कम के हुए। डेटामॉनिटर इंडिया के एक वरिष्ठ विश्लेषक कहते हैं कि आई टी और आउटसोर्सिंग कंपनियां वैश्विक स्तर पर महीने दर महीने के प्रदर्शन और अस्थायी दौर से प्रभावित हो रही हैं। इसके ठीक उलट महीने दर महीने के प्रदर्शन के आधार पर भारतीय कंपनियों में स्थिरता बनी हुई है और उनका मुनाफा भी बढ़ रहा है। अमेरिकी मंदी भी आई टी सेवाओं के बाजार को प्रभावित कर रही है लेकिन भारतीय कंपनियां इसके प्रभाव से बच निकलने में सफल रहेंगी। वैसे एशिया प्रशांत क्षेत्र में आई टी कंपनियों द्वारा किये गये सौदों में जनवरी 2008 में जनवरी 2007 की तुलना में 67 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि इसी दौरान उत्तरी अमेरिकी कंपनियों के सौदों में संख्या की दृष्टि से कमी आई है। जनवरी 2007 में आई टी कंपनियों को बड़े सौदे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और टेलीकॉम कंपनियों से मिले। इस दौरान हुए 10 बड़े सौदों में से 9 इन्हीं कंपनियों से मिले थे।

First Published - February 28, 2008 | 7:26 PM IST

संबंधित पोस्ट